लैलूँगा-जोहार छत्तीसगढ़।
कोरोना संक्रमण के इस आपातकाल में जहाँ एक ओर शासन प्रशासन के साथ पूरे देश के पत्रकार देश को इस विषम परिस्थितियों से बाहर निकालने कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ खड़े नजर आ रहे है। वही दूसरी ओर रायगढ़ जिले के लैलूँगा से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। जिसमें संक्रमण फैलने के अंदेशे को लेकर एक राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित प्रशासन को जागरूप करने संबंधी समाचार के बाद उल्टे स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने इसे प्रशासन का मनोबल तोड़ने जैसा कृत्य बताकर लैलूँगा थाने में संबंधित पत्रकार के खिलाफ इसकी लिखित शिकायत की है। जबकि खबर प्रकाशन के रोज ही उसी मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन की एक कार्यवाही से उस समाचार की सत्यता पर मुहर लग चुकी है। और उस पूरी कार्यवाही को खबर का असर बताया जा रहा है।बहरहाल इस मामले को लेकर पत्रकार को ही निशाना बनाकर उसके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के बाद पूरे जिले के पत्रकारों में रोष व्यपात है। और उनके द्वारा कड़े शब्दों में इसकी निंदा की जा रही है। दरअसल रायगढ़ जिले में 14 अप्रैल से लगाए गए लाकड़ाऊंन के बाद के बाद जिले के लैलूँगा थाना क्षेत्र के गांवों और सीमावर्ती राज्य एव जिलों से महुवा कोचियों द्वारा पसरे लगाकर भीड़भाड़ इकट्ठा करने की खबर आ रही थी। और लॉकडाउन के इस समय में सरहदी इलाकों में चल रही इस प्रकार की गतिविधियों से ग्रामीण इससे संक्रमण फैलने का अंदेशा जताते हुए काफी डरे हुए थे। जिसे संज्ञान में लेकर दैनिक पत्रिका के प्रतिनिधि आशुतोष मिश्रा ने मौका मुआयना कर इस पूरे मामले से जिला पुलिस अधीक्षक को अवगत कराते हुए।18 अप्रैल के अंक में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। जिसके बाद उसी रोज लैलूँगा तहसीलदार द्वारा अवैध रूप से महुआ से लदी एक पिकअप वाहन और उसके मालिक की धरपकड़ कर एफआईआर दर्ज कराई गई। जो कि 14 अप्रैल को लगे लॉकडाउन के बाद इस मामले में अधिकारियों की पहली कार्यवाही थी।बताते चले कि खबर में वाहनों की धरपकड़ कर उन्हें छोड़े जाने का उल्लेख किए जाने से बौखलाकर तहसीलदार द्वारा संबंधित पत्रकार को एसडीएम आफिस बुलाकर काफी खरी खोटी सुनाई थी।
वाट्सअप ग्रुप में वायरल एक अन्य मैसेज की आड़ में जबरन बनाया जा रहा पत्रकार को निशाना
इस पूरे मामले में पत्रकार के खिलाफ की गई कार्यवाही इस लिए विवादों से घिरी हुई है। क्योकि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा वायरल किए गए मैसेज को लेकर अधिकारियों द्वारा संबंधित पत्रकार को निशाना बनाने की कोशिश की गई है। वायरल मैसेज में अधिकारियों के खिलाफ जो टिप्पणी की गई है। वो छब्बीस अप्रैल को की गई है।और समाचार का प्रकाशन 18 अप्रैल के अंक में हुआ था। और तहसीलदार द्वारा उस मैसेज को जरिया बनाकर पत्रकार से भड़ास निकालने को कोशिश की गई है।जबकि पत्रकार द्वारा अधिकारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की टीका टिप्पणी नही की गई।
पत्रकारों ने जताई गहरी नाराजगी
पत्रकार आशुतोष मिश्रा पर हुए एफआईआर पर लैलूंगा के सभी पत्रकारों ने नाराजगी जाहिर करते हुए निंदा प्रस्ताव पारित किया साथ ही जांच कर उचित कार्यवाही की मांग भी की है । विदित हो की विगत 27.04.2021 को लैलूंगा के एसडीएम तहसीलदार नायब तहसीलदार सीईओ जनपद पंचायत, सीएमओ नगर पंचायत द्वारा सामूहिक रूप से थाने में शिकायत की गई थी जिसमे जितेंद्र ठाकुर एव आशुतोष मिश्रा पर एफआईआर करने आवेदन दिया गया था आवेदन में आशुतोष मिश्रा पर 18.04.2021 को लेखकर दैनिक समाचार पत्र में प्रशासन के विरुद्ध टिप्पणी किया गया है इसमें प्रशासन की छवि धूमिल करने का जनबुछ कर प्रयास किया गया है ये जिक्र करते हुए थाना प्रभारी को एफआईआर करने आवेदन दिया था साथ ही एक लेख जो व्हाट्सएप ग्रुप में लिखा गया था जिसमे उन्होंने ,और जनप्रतिनिधियों का क्या? उन्हें क्या इन सब की जानकारी नहीं है फिर वो क्यों चुप्पी साधकर तमाशा देख रहे हैं मुख्यालय में जो तमाशा चल रहा है ना उससे सीधे सीधे सरकार की छवि धूमिल हो रही है।, का जिक्र किया था जिस पर थाना प्रभारी द्वारा भा द स की धारा 353, 186, 188, 506, 34 के तहत फिर दर्ज किया गया है।
जिला कलेक्टर और एसपी से की जाएगी निष्पक्ष जांच की मांग
समस्त पत्रकारों के द्वारा कान्फ्रेस कॉल के माध्यम से चर्चा कर इसका विरोध करने का निर्णय लिया गया जिसमे आशुतोष मिश्रा पर हुए एफआईआर को एक पक्षीय कार्यवाही मानते हुए निंदा प्रस्ताव पारित किया गया साथ ही इस कार्यवाही पर पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर से चर्चा कर निस्पक्ष जांच कराने की मांग का निर्णय लिया गया जिसकी प्रतिलिपि महामहिम राज्यपाल , आई जी बिलासपुर रेंज, कलेक्टर रायगढ़ पुलिस अधीक्षक रायगढ़ के साथ जिला प्रेस एसोसिएशन एव प्रेस क्लब रायगढ़ को भी भेजा जाएगा जिनके मार्गदर्शन में अग्रिम रणनीति तैयार की जाएगी । इस निर्णय में लैलूंगा के सभी वरिष्ट पत्रकार शामिल रहे ।