इन्दौर । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा ‘मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण’ योजना दो माह (1 अप्रैल 2021 से 31 मई 2021 तक) के लिए पुन: लागू की गई है। योजना में 50 लाख रू. का ‘विशेष बीमा कवर’ है, जो कोविड-19 के कारण जीवन की हानि व सेवा के दौरान दुर्घटना से आकस्मिक मृत्यु पर देने का प्रावधान है। यह योजना भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई कोविड-19 महामारी रोकथाम के लिए कार्य कर रहे ‘स्वास्थ्य कर्मियों’ के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के अन्तर्गत विशेष बीमा योजना पर आधारित है, लेकिन ‘शिवराज सरकार’ ने भारत सरकार की योजना का विस्तार कर उसमें स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा नगरीय निकाय, गृह विभाग, राजस्व एवं अन्य विभागों में काम कर रहे उन कर्मियों को भी जोड़ा है, जो कोविड-19 महामारी की रोकथाम में अपनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये राज्य सरकार के ‘सक्षम प्राधिकारी’ द्वारा अधिकृत हैं। कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में फील्ड में काम कर रहे पत्रकार व मीडियाकर्मी को भी ‘कोरोना योद्धा’ का दर्जा देकर 50 लाख रू. का बीमा कवर सहित अन्य सुविधाऍं देने की मांग योजना लागू किए जाने के वक्त से ही की जाती रही है, लेकिन शिवराज सरकार ने इस दिशा में कोई ‘कदम’ नहीं उठाए है। विगत 17 अप्रैल को देश के सबसे सक्रिय ‘सांसद’ ने इन्दौर प्रेस क्लब के ‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम में फील्ड में दिन-रात कार्यरत ‘पत्रकारों व मीडियाकर्मियों’ को भी ‘कोरोना वारियर्स’ की श्रेणी में लाकर ‘मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण’ योजना में शामिल कराने के प्रयास करने व जरूरत मंद पत्रकारों की मदद करने की बात कहीं थी, जो सिर्फ ‘आश्वासन’ बनकर ही रह गई है। अब तक कोरोना संक्रमण से गुड्डू शर्मा, राजेश मिश्रा, सलिल जैन, जी.एस. यादव, रउफ खान सहित शहर के कई पत्रकार अपनी जान गवां चुके है, अनेकों पत्रकार संक्रमण काल में संघर्षरत है।
शनिवार को शहर के एक पूर्व मंत्री व सत्ताधारी पार्टी के विधायक ने ‘लोकतंत्र के चौथे स्तंभ’ की भूमिका में अपना योगदान दे रहे ‘ज़मीनी स्तर पर कार्यरत’ पत्रकारों व मीडियाकर्मियों की पीड़ा समझते हुए महामारी के दौर में उन्हें उचित उपचार सहित अन्य सुविधा देने का ‘निवेदन’ करते हुए कलेक्टर को पत्र लिखा है।
चूंकि पत्रकारों व मीडियाकर्मियों की श्रेणी को ‘मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण’ योजना में शामिल करने का सवाल है, तो यह कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है, जो सिर्फ मुख्यमंत्री की ‘मर्जी’ पर निर्भर है। इसलिए इस मामले में जो भी ‘अर्जी’ देनी हो, वो मुख्यमंत्री के नाम हो…! इसलिए ‘मुख्यमंत्रीजी’ मुद्दें की बात यह है कि ”पत्रकारों व मीडियाकर्मियों’ को 50 लाख रू. का ‘बीमा कवर’ सहित अन्य सुविधाएं दी जाए….! चाहे वह ‘अधिमान्य पत्रकार’ हो या फील्ड में काम करने वाले सक्रिय ‘श्रमजीवी पत्रकार’।