धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
धरमजयगढ़ के जंगल सुलग रहे हैं हरे भरे पेड़ पौधों के साथ ही जंगली जानवर इस आग से घबराकर अब गांव कस्बों की ओर रुख कर रहे हैं। ये सब बीट गार्ड, डिप्टी रेंजर और रेंजर की आंखों के सामने हो गया लेकिन विभाग अब भी अंजान बनकर जिम्मेदारी लेने से पीछे हट रहे हैं। उल्टे अपने कर्मचारियों की कमर कसने के बजाय उन्हें सरंक्षण देने का काम कर रही है। इस विषय को लेकर जब पड़ताल की गई तो धरमजयगढ़ के नजदीकी गांव कोयलार के वन रक्षक की सर्व प्रथम लापरवाही सामने आई जिसमें कोयलार के ही एक ग्रामीण ने बताया कि वनरक्षक श्रवण अपने एरिया में यदा कदा ही नजर आते हैं। बीते दिनों जब कोयलार के काजुबाड़ी के समीप के जंगल मे आग लगी थी तो वनरक्षक को काफी बुलाने का प्रयास किया गया लेकिन वनरक्षक श्रवण आग बुझाने के बाद अपनी कागजी कार्यवाही करने पहुंचा। बता दें कि कोयलार स्थित काजुबाड़ी का प्लाट कई एकड़ में फैला हुआ है। जिसमें काजू के पेड़ लगाय गये हंै ग्रामीण ने कहा कि जंगल में लगी आग यदि गांव वाले नहीं बुझाते तो काजू का यह प्रोजेक्ट भी जलकर खाख हो जाता और हमेशा की तरह सरकारी खजाने से निकली हुई रकम भ्ष्र्टाचार की भेंट चढ़ जाती और वन रक्षक श्रवण जंगल में डियूटी करने के बजाय ऑफि स डियूटी का नाम लेकर अपने विभाग सहित ग्रामीणों को गुमराह करने में लगे रहते। विगत दिनों कोयलार के जंगल मे भीषण आग से कई वनस्पति सहित पेड़ पौधे आग में झुलसकर मर गए पर विभाग को इस बात की जानकारी जंगल जल जाने के बाद होती है ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि। जब कोयलार के जंगल में आग लगी थी तो वहां पदस्थ वनरक्षक कहां था। और वन संपदाओं की इतनी बड़ी नुकसान का जिम्मेदार कौन है। इन सबसे अलग विभाग अपने कर्मचारियों पर कार्यवाही करने के बजाय एसी में बैठकर उन्हें संरक्षण दे रही है। मजे की बात यह है कि इस जंगल में लगी आग के बारे में जब वनरक्षक श्रवण से बात करने की कोशिश की गई तो कैमरे से परहेज करते दिखे। ऐसे में इन दिनों धरमजयगढ़ वन मंडल में लगे आग को देखकर यहां के जंगल का अस्तित्व खतरे में दिखाई देने लगा है।