भोपाल । मप्र में कोरोना की रफ्तार कम नहीं हो रही है। सरकारी रिकॉर्ड में प्रदेश में 3 दिन में 127 मौतें दर्ज की गई हैं, जबकि श्मशान में कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किए शवों की संख्या कई गुना ज्यादा है। पूरे प्रदेश में हालात कैसे होंगे इसका आकलन राजधानी की स्थिति से लगाया जा सकता है। भोपाल में लगातार कोरोना से मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। सरकार इन आंकड़ों को ना के बराबर बता रही है, लेकिन दूसरी तरफ शहर के मुख्य श्मशान घाट और कब्रिस्तान के आंकड़ों पर यकीन करें तो तस्वीर अलग ही सामने आ रही है। यहां पिछले 10 दिन के अंदर 1073 से अधिक शवों को अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल के तहत हुआ है। वहीं सरकारी आंकड़ों ने इस दौरान मात्र 46 लोगों की जान कोरोना के कारण गई है। क्या सरकार मौत के आंकड़ों को छुपाने का काम कर रही है या तो सरकार झूठ बोल रही है या फिर शहर के मुख्य श्मशान घाट के आंकड़े।
21 अप्रैल को 138 शवों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार हुआ। भदभदा विश्राम घाट में 92 और सुभाष विश्राम घाट में 33 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। झदा कब्रिस्तान में 13 शवों को दफनाया गया। सरकारी आंकड़ों में कोरोना से 5 की मौत बताई गई है। 20 अप्रैल को 148 शवों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार हुआ था। इस तरह 12 अप्रैल से लेकर 21 अप्रैल तक भोपाल में 1073 शवों को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया है। ये आंकड़े केवल भदभदा, सुभाष विश्राम घाट और झदा कब्रिस्तान के हैं। जबकि जिलेभर में कई श्मशान और कब्रिस्तान हैं जहां रोजाना अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं।
10 दिन में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार
-12 अप्रैल को 62
-13 अप्रैल को 81
14 अपैल को 87
-15 अप्रैल को 112
– 16 अप्रैल को 118
– 17 अप्रैल को 92
-18 अप्रैल को 112
-19 अप्रैल को 123
-20 अप्रैल को 148
-21 अप्रैल को 138
सरकारी रिकॉर्ड में मौतें
12 अप्रैल को 3 मौत
13 अप्रैल को 5 मौत
14 अप्रैल को 4 मौत
15 अप्रैल को 8 मौत
16 अप्रैल को 4 मौत
17 अप्रैल को 3 मौत
18 अप्रैल को 5 मौत
19 अप्रैल को 4 मौत
20 अप्रैल को 5 मौत
21 अप्रैल को 5 मौत
श्मशान और कब्रिस्तान भरे पड़े
मप्र की राजधानी भोपाल में अब मौत डराने लगी है। शहर के किसी न किसी कोने में कोई न कोई जिंदगी की जंग हार रहा है। यहां अब लगभग हर दिन एक सैकड़ा से अधिक मौतें कोरोना से हो रही है। इन शवों का कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया जा रहा है। जबकि सरकारी आंकड़ों में रोजाना मौत का आंकड़ा दहाई भी नहीं छू पाया है। श्मशान घाट पर रोजाना आ रहे शवों और उनकी कोविड प्रोटोकॉल से होते अंतिम संस्कार की तस्दीक विश्राम घाट ट्रस्ट के लोग भी कर रहे हैं। भदभदा विश्राम घाट समिति के सचिव ममतेश शर्मा का कहना है कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत रोज दाह संस्कार किया जा रहा है।
श्मशानों से उठ रहे धुएं डरा रहे
राजधानी में रोजाना हो रही मौतों का आकलन इसी से लगाया जा सकता है की श्मशानों से उठ रहे धुएं अब लोगों को डराने लगे हैं। भदभदा, सुभाष विश्राम घाट के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि ऐसा मंजर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है। इस कारण प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना के बीच सरकारी आंकड़ों में मौतों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल इसलिए क्योंकि सरकारी आंकड़ों में मौत और श्मशान घाटों पर कोविड प्रोटोकॉल से शवों के अंतिम संस्कार के आंकड़ों में काफी अंतर आ रहा है। हालांकि, कोविड मौतों के इन आंकड़ों के अंतर पर मध्य प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ये तर्क दे रहे हैं कि संदिग्ध कोविड मरीजों का अंतिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकाल से किया जाता है। सरकार आकंड़े नहीं छिपा रही है। बहरहाल, वैसे तो कोरोना से पहले यही श्मशान रोजाना 7 से 10 लाशों का अंतिम संस्कार करते थे। लेकिन काल बने कोरोना के चलते श्मशान में चिंताओं के अंतिम संस्कार के लिए जगह तक नहीं बच रही। ऐसे में शमशान और सरकार के रिकार्ड मौतों का ये लंबा फासला कई सवाल खड़े कर रहा है।
-विश्राम घाटों पर पर 16-16 घंटे काम कर रहे कर्मचारी
विश्राम घाटों पर कर्मचारी 16-16 घंटे काम कर रहे हैं। इससे उनकी हालत खराब हो रही है। अभी तक शहर के मुख्य विश्राम घाट और कब्रिस्तान में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो रहे अंतिम संस्कार की डरावनी तस्वीरें और आंकड़े रोज सामने आ रहे थे। यह आंकड़े पिछले 10 दिन में लगातार बढ़ रहे हैं। रोजाना बढ़ती मृतकों की संख्या को देखते हुए भदभदा विश्राम घाट समिति ने हाथ खड़े करना शुरू कर दिए है। समिति के अध्यक्ष अरूण चौधरी ने कहा है कि इसके लिए इंतजाम नाकाफी हैं। थकान के चलते विश्राम घाट पर काम कर रहे सेवकों ने काम करने से इंकार कर दिया है। 15 से 16 घंटे तक काम करने की वजह से कर्मचारियों की हालत खराब होती जा रही है।
-मुक्तिधाम में लाशों को जलाने के लिए वेटिंग
मरीजों के रखने के लिए अस्पतालों में बेड नहीं हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए लोग इंतजार कर रहे हैं जहां पहले शवों को ज्यादा लकड़ी के साथ अंतिम संस्कार किया जाता था, अब संख्या कम कर दी गई ताकि चिता जल्दी जल जाए और दूसरी लाशों को जलाया जा सके।
-भदभदा मुक्तिधाम में लगा 200 अस्थि कलश का ढेर
मप्र में कोविड-19 के तेजी से बढऩे से भोपाल के भदभदा विश्राम घाट के लॉकरों में 150 अस्थि कलश का ढेर लग गया है। इस श्मशान घाट में बीते 16 दिनों में 800 शवों का कोरोना प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार किया गया है। यानी औसत 50 अंत्येष्टि कोरोना के मानकों से हो रही है। कोरोना काल में अपने प्रियजनों को खोने वाले कई लोग दाह संस्कार करने के बाद अस्थि कलश विश्राम घाट के लॉकरों में रख रहे हैं, ताकि बाद में उन्हें गंगा, यमुना या नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में विसर्जित किया जा सके। भदभदा विश्राम घाट प्रबंधन समिति के सचिव मम्तेश शर्मा ने बताया कि विश्राम घाट के लॉकरों में फिलहाल 150 अस्थि कलश रखे हैं। हम और लॉकर बना रहे हैं, ताकि कम से कम 500 अस्थियों कलश रखने की व्यवस्था हो। मृतकों की संख्या बढऩे से रोजाना यहां औसतन 10 से 15 अस्थि कलश रखे जा रहे हैं। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में अस्थि कलश लॉकरों में रखे जा रहे हैं।
बेड, दवाएं, ऑक्सीजन, इंजेक्शन की कमी
सरकार अस्पतालों में बेड, दवाएं, ऑक्सीजन, इंजेक्शन जैसी जरूरी सुविधाओं का इंतजाम नहीं कर पा रही है। इसी प्रशासनिक अक्षमता को छिपाने के लिए आंकड़ों में गड़बड़ी का खेल खेला जा रहा है और बताने की कोशिश की जा रही है कि सब ठीक-ठाक है। इसका नतीजा यह हुआ है कि सही तथ्य सामने नहीं आने की वजह से जनता गुमराह और लापरवाह होती गई और अब हालत यह है कि भोपाल में कोरोना संक्रमण की दर 28 फीसदी से ऊपर जा पहुंची है। यानी जांच में लगभग हर चौथा व्यक्ति पॉजिटिव निकल रहा है। राज्य में कोरोना बेकाबू हो गया है।
-श्मशान घाटों में लकड़ी का टोटा…
अभी बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। कब्रिस्तान-श्मशान घाटों में प्रतीक्षा सूची चल रही है। वहीं मप्र सहित प्रदेशभर में अंतिम संस्कार के लिए लकडिय़ों-कंडों का टोटा पड़ रहा है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों से इनकी आपूर्ति की जा रही है। विभाग द्वारा लकड़ी की नीलामी पर इसके चलते रोक भी लगा दी गई है। श्मशान घाटों में सुबह से रात तक बड़ी संख्या में दाह संस्कार हो रहा है और इंदौर के ही श्मशान घाटों पर अनवरत चिताएं जल रही है और मृतकों के परिजनों को इंतजार भी करना पड़ रहा है। वन विभाग का कहना है कि प्रदेशभर में श्मशान घाटों में भी लड़कियां उपलब्ध कराई जा रही है, जिसके चलते फिलहाल लकड़ी की नीलामी पर भी रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि वन विभाग पेड़ों की कटाई करवाने के बाद लकडिय़ों की नीलामी करता है। अभी चूंकि मप्र सहित प्रदेशभर में लकडिय़ों की मांग एकाएक बढ़ गई, जिसके चलते वन विभाग करवा रहा है। कई ट्रक लकडिय़ों की आपूर्ति की जा रही है। वहीं जनप्रतिनिधि भी इसमें जुटे हैं। इंदौर में ही कुछ विधायकों और अन्य नेताओं ने श्मशान घाटों में लकडिय़ों और कंडों की व्यवस्था भी करवाई है।
-सीहोर जिला अस्पताल में मरीज ना आएं, इसके लिए बाहर बैठाया पुलिस का पहरा
कोरोना संक्रमण अब छोटे जिलों में तेजी से पैर पसार रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में जिला अस्पताल के बाहर अब पोस्टर लगा दिया गया है- सारे बेड फुल हैं। यानी नए मरीजों की एंट्री बंद। ऐसे में हंगामा होने की आशंका के चलते अस्पताल के सामने पुलिस तैनात कर दी गई है। हाल ही में यहां भोपाल-इंदौर हाईवे पर कोविड सेंटर तैयार किया गया है, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिलने से यह शुरू नहीं हो पा रहा है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर आंनद शर्मा के मुताबिक बुधवार रात से सभी 68 बेड फुल हो गए हैं। मेडिकल वार्ड में भी मरीजों को भर्ती किया गया है, लेकिन अब नए मरीजों को भर्ती करना संभव नहीं है। यह स्थिति तब बनी, जब मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते अस्पताल के मेडिकल वार्ड को भी संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए तैयार किया गया है। इससे पहले गल्र्स स्कूल के आवासीय खेल परिसर को कोविड केयर सेंटर के रूप में विकसित किया है। यहां 60 बिस्तरों वाला आइसोलेशन सेंटर गुरुवार सुबह फुल हो गया। सिविल सर्जन के मुताबिक शहर के कोविड सेंटर में भी इस समय 104 मरीज भर्ती हैं। इनमें से 95 मरीज ऐसे हैं जिन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया है।