भोपाल। कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिल रही है। इससे कोरोना पॉजिटिव यहां-वहां घूमकर बीमारी फैलाते रहते हैं। यदि समय पर पता चल जाता है तो मरीज आइसोलेट होकर अपना इलाज भी शुरु करवा सकता है लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि कुछ मरीजों को खुद पता नहीं है कि वह पॉजिटिव आ चुके हैं। वजह, उन्हें न तो एसएमएस मिल रहा और न फोन कर संक्रमित होने की सूचना दी जा रही है। ऐसी लापरवाही में कोरोना संक्रमण बढ़ना तय है। इनमें कुछ की रिपोर्ट तीन से छह दिन में मिली, तो कुछ की 15 दिन बाद भी नहीं पता चली। बीमार होने के बाद वह ठीक भी हो गए। रिपोर्ट के इंतजार में मरीजों की हालत बिगड़ रही है। इतना ही नहीं, इस दौरान अनजाने में वह दूसरों को भी संक्रमित करते रहते हैं। संक्रमण बढ़ने की यह बड़ी वजह है। कारण यह कि जब तक मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आती वह आइसोलेट ही नहीं होते, जबकि दिशा-निर्देश यह हैं कि सैंपल देने के बाद रिपोर्ट आने तक आइसोलेशन में रहना होगा। शाहपुरा के रहने वाले योगेश सेन ने पांच अप्रैल को प्रोफसर कॉलोनी स्थित डिस्पेंसरी में आरटी-पीसीआर से कोरोना की जांच कराई। इस दौरान उन्होंने रैपिड एंटीजन जांच भी कराई। रैपिड जांच पॉजिटिव आई, लेकिन आरटी-पीसीआर जांच के नतीजे आज तक उन्हें पता नहीं चले हैं। कई बार डिस्पेंसरी में पूछताछ करने के लिए गए। उन्हें यही कहा गया कि रिपोर्ट एसएमएस से मिल जाएगी। इसी तरह सांची दुग्ध संघ में काम करने वाले आशुतोष दुबे को खांसी और हल्का बुखार था। नौ अप्रैल को उन्होंने जेपी अस्पताल में कोरोना की आरटी-पीसीआर जांच कराई। उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। 17 अप्रैल की पॉजिटिव सूची में उनका नाम भी आ गया, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि कोरोना जैसे लक्षण होने पर उन्होंने घर में ही खुद को अलग कर लिया था। न्यू सुभाष नगर में रहने वाले मुकेश ने 4 अप्रैल को पॉजिटिव आने के बाद 11 अप्रैल को जेपी अस्पताल में कोरोना की दूसरी आरटी-पीसीआर जांच कराई थी। 16 अप्रैल को एसएमएस के जरिए पता चला कि दूसरी बार भी उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है। कंट्रोल रूम से भी सिर्फ एक बार ही फोन आया कि जरूरत पर कौन-कौन से अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं। इसके बाद से आज तक किसी ने संपर्क नहीं किया। मरीजों की हालत गंभीर हो रही है, क्योंकि जब तक रिपोर्ट नहीं आती मरीज दिखाने के लिए नहीं जाते। रिपोर्ट आने तक मरीज दूसरी जांचें भी नहीं कराते।सैंपल देने के बाद भी रिपोर्ट आने तक कई संदिग्ध घूमते रहते हैं, जिससे दूसरों को बीमरी फैलती है। शनिवार से आधे सैंपल आरटी-पीसीआर और आधे रैपिड किट से जांच के खातिर लिए जा रहे हैं। अभी तक 70 फीसद सैंपल आरटी-पीसीआर वाले होते थे। भोपाल के करीब दो हजार सैंपल हर दिन जांच के लिए अहमदाबाद निजी लैब में भेजे जा रहे हैं। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी का कहना है कि मरीजों को कोरोना की जांच रिपोर्ट 24 घंटे में मिल जाए, ऐसी व्यवस्था की जा रही है। सैंपल बाहर भी भेजे जा रहे हैं। कोरोना मरीजों की संख्या और सैंपलों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है, इसलिए दिक्कत आ रही थी। ज्यादातर मरीजों की रिपोर्ट एक से दो दिन में मिल जा रही है।