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कोरोना की रोकथाम के लिए कलेक्टर कर सकते हैं मुख्यमंत्री सहायता कोष का उपयोग

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिशानिर्देश पर मुख्यमंत्री सहायता कोष से कोरोना संकमण की रोकथाम हेतु दी जाने वाली राशि का स्वविवेक से उपयोग करने की सभी जिला कलेक्टरों को अनुमति प्रदान की गई है।

मुख्यमंत्री सचिवालय से सभी कलेक्टरों को इस संबंध में पत्र प्रेषित कर दिशानिर्देश दिए गए हैं। पत्र में उल्लेखित है कि नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की शासकीय अधोसंरचना को विकसित करने हेतु जीवनदीप समितियों के माध्यम से मुख्यमंत्री सहायता कोष से आबंटित राशि के उपयोग की अनुमति दी गई है। प्रदेश में वर्तमान में नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जीवनदीप समितियों के माध्यम से आबंटित राशि के उपयोग की दी गई अनुमति में शिथिलता प्रदान करते हुए कोरोना महामारी की रोकथाम हेतु जिला कलेक्टरों को उनके द्वारा अपने स्वविवेक से मुख्यमंत्री सहायता कोष द्वारा आबंटित राशि के उपयोग की अनुमति दी जाती है।

पूरे छत्तीसगढ़ में धान का उठाव सुनिश्चित कराए सरकार : जायसवाल

रायपुर । भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष श्यामबिहारी जायसवाल ने खऱीदी केंद्रों में अब तक लाखों मीटरिक टन धान जाम पड़े रहने को लेकर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली की आलोचना की है। श्री जायसवाल ने कहा कि किसानों और किसानों द्वारा उत्पादित अन्न का अपमान करके राष्ट्रीय सम्पदा को क्षति पहुँचाने का कृत्य प्रदेश सरकार कर रही है और सहकारी समितियों की कमर तोडऩे पर उतारू है। श्री जायसवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार धान खऱीदी से लेकर धान के समय पर उठाव के मोर्चे पर अपनी विफलता को ढँकने के लिए पिछले वर्ष की तरह इस बार भी कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की आड़ लेकर बहानेबाजी करने में लगी है।उन्होंने कहा कि सरगुजा में धान उठा चुके राइस मिलर्स से नान चावल जमा नहीं करवा रहा है जिससे आगे का धान उठाव मिलर्स नही कर पा रहे है । लगता है सरकार ही नही चाहती है कि सोसाइटी से धान उठाव हो ।

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री जायसवाल ने कहा कि धान खऱीदी का काम पूरा हुए दो माह से अधिक का समय बीतने के बाद भी प्रदेश सरकार खऱीदी केंद्रों से धान का उठाव तक नहीं करा पाई है। एक अनुमान के मुताबिक़ प्रदेश भर के करीब 20 जि़लों में 25 लाख मीटरिक टन से भी ज़्यादा धान खऱीदी केंद्रों में जाम पड़ा है। एक तरफ बेमौसम बारिश के चलते धान सडऩे की नौबत आती है तो दूसरी तरफ बढ़ते तापमान से धान में सूखत बढ़ती है। ज़ाहिर है इसका सीधा खामियाजा सहकारी समितियों को उठाना पड़ता है। श्री जायसवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार अन्नदाताओं की उपज का समय पर उठाव करके उसे सुरक्षित करने में लापरवाही दिखाती है। श्री जायसवाल ने कहा कि जिस तरह प्रदेश के कुछ जि़लों में धान परिवहन का कार्य चल रहा है, वैसी व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू करके प्रदेश सरकार धान का उठाव सुनिश्चित कराए।

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