Home देश गुजरात हाईकोर्ट के जज बोले- सब कुछ भगवान भरोसे

गुजरात हाईकोर्ट के जज बोले- सब कुछ भगवान भरोसे

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अहमदाबाद  । गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना से बिगड़ रहे हालात पर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सोमवार को कहा कि प्रदेश और लोग जिस तरह की दिक्कतें झेल रहे हैं, वह सरकार के दावे से बहुत अलग है। चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव करिया की बेंच ने कहा कि लोगों को लगने लगा है कि वे अब भगवान भरोसे हैं। एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने कोर्ट को सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में बताया। उन्होंने हॉस्पिटल में बेड्स की संख्या और एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिविर की उपलब्धता बढ़ाने की जानकारी दी। हालांकि, बेंच ने ज्यादातर दलीलों को मानने से इनकार कर दिया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि आप जो दावा कर रहे हैं, स्थिति उससे काफी अलग है। आप कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक है। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। इस समय लोगों में भरोसे की कमी है। लोग सरकार को कोस रहे हैं और सरकार लोगों को। इससे कुछ नहीं होगा। हमें संक्रमण की चेन तोडऩे की जरूरत है।

सरकार बोली-वे भी लाइन में खड़े हैं, जिन्हें जरूरत नहीं

कोर्ट ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की शॉर्टेज है और इसके लिए एक अस्पताल के बाहर लंबी लाइन लगी है। इस पर एडवोकेट जनरल त्रिवेदी ने कहा कि जिन लोगों को दवा की जरूरत नहीं है, वे भी एहतियात के तौर पर इसे खरीदने की कोशिश कर रहे थे। अगर मरीज होम ट्रीटमेंट में है, उसे लक्षण नहीं हैं या उसकी हालत गंभीर नहीं है तो उसे रेमडेसिविर की जरूरत नहीं होती।

हर दिन 25 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीद रही सरकार

त्रिवेदी ने कहा कि कंपनियों से सप्लाई भी कम है। सिर्फ 7 कंपनियां यह इंजेक्शन बनाती हैं। उनकी एक दिन की प्रोडक्शन कैपेसिटी सिर्फ 1.75 लाख की है। सरकार हर दिन लगभग 25 हजार इंजेक्शन खरीद रही है। इस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि सरकार क्यों इसकी सप्लाई पर कंट्रोल कर रही थी, जब लोग इसके लिए भागदौड़ कर रहे थे। जिन हॉस्पिटलों में ये इंजेक्शन मिल रहे थे, वे भी कह रहे थे कि उनके पास दवा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि दवा उपलब्ध है, लेकिन सरकार की ओर से इसकी सप्लाई कंट्रोल की जा रही है। लोग इसे क्यों नहीं खरीद सकते? सरकार ये सुनिश्चित करे कि यह हर जगह उपलब्ध हो। हम कारण नहीं रिजल्ट चाहते हैं।

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