बैतूल। प्रशासनिक कार्रवाई में भी अमीर गरीब का फर्क देखा जाता है। अफसर जब देखता है कि जिस पर कार्रवाई करना है वह अमीर और रसूखदार है तो वह मामले को ठंडे बस्ते के हवाले कर देता है यदि उसे लगता है कि कोई जरूरतमंद गरीब पर नियम कानून का हंटर चलाना है तो वह पूरी ताकत लगा देता है। ऐसा ही कुछ घोडाढोंगरी नगर में हो रहा। यहाँ अस्पताल के पास शासकीय जमीन पर अतिक्रमण में तहसीलदार मोनिका विश्वकर्मा एक रसूखदार व्यापारी के अतिक्रमण पर आंख बंद किए हुए है वहीं चलित और अस्थाई अतिक्रमण वालों को हड़का रही है। जबकि रसूखदार धन्नासेठ ओम मालवीय के अतिक्रमण की तरफ से आंख बन्द कर रखी है जबकि अन्य गरीब जरूरमंद को नोटिस दिए गए है।
घोड़ाडोंगरी को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बने लगभग 6 माह होने को है, जिसके चलते जमीनों के दाम में ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बनने पर काफी बढ़ते हुए देखने को मिल रहे हैं। इसको ध्यान में रखते हुए नगर में गिद्ध की नज़र रखने वाले भू-माफिया जिनके नगर में ढेरों प्लाट और जमीनें है परंतु वे भी औरो की तरह अपने आप को जरूरतमंद और असहाय बताकर प्रशासन के नाक के नीचे सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं?
ऐसा ही एक मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घोड़ाडोंगरी की जमीन को कब्जाने का है जिसको लेकर विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी संजीव शर्मा ने घोड़ाडोंगरी तहसीलदार को लगभग 5 से 6 बार लिखित आवेदन दिया और कई बार मौखिक रूप से अस्पताल परिसर की जमीन पर किया जा रहे अतिक्रमण को लेकर तहसीलदार को लिखित व मौखिक रूप से सूचना दी गई परंतु राजस्व विभाग का प्रशासन भूमाफिया के रसूखदार होने के चलते कार्यवाही करने से कन्नी काट रहा है?
पिछले 2 माह पूर्व लिखित रूप से आवेदन देकर मांग की गई थी की अस्पताल परिसर के बाई तरफ लगभग 40 फीट का लंबा अतिक्रमण अज्ञात व्यक्ति ने कर लिया है। जहां पूर्व में अस्पताल का वैकल्पिक मार्ग था जो जांच होने पर नगर के प्रतिष्ठित मेडिकल संचालक, हार्डवेयर के थोक विक्रेता व किराना दुकान चलाने वाले करोड़पति ओम मालवीय ने किया। बाकी सभी गुमठी धारियों व जरूरतमंद जो चलित हाथ ठेला के रूप में अतिक्रमण करके अपनी जिंदगी व परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं। उन्हें प्रशासन अनेकों बार नोटिस व हटाने की सूचना दे चुका है परंतु मजाल है कि ओम मालवीय को राजस्व अमला कुछ कह पाए। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2 माह पूर्व की गई लिखित रूप से व्यक्तिगत शिकायत पर अभी तक प्रशासन की कोई भी कार्यवाही देखने को नहीं मिली। वहीं छोटे अतिक्रमणकारियों को तहसीलदार एवं राजस्व अधिकारियों द्वारा समय-समय पर मौखिक व लिखित सूचना देकर गुमठियाँ हटाने को कहा जा रहा है इससे साफ जाहिर होता है कि घोड़ाडोंगरी में कानून गरीबों के लिए अलग और अमीरों के लिए अलग नज़र आ रहा है?