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म्यांमार में हर दिन हो रही प्रदर्शनकारियों की मौत

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यंगून। म्यांमा में एक फरवरी को तख्तापलट के बाद से बढ़ी हिंसा में कम से कम 550 नागरिक मारे गए हैं। विगत दिवस मध्य म्यांमार में सुरक्षा बलों ने तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चला दी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी। मानवाधिकार स‍ंगठन ‘असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ ने बताया कि मृतकों में 46 बच्चे हैं। करीब 2,751 लोगों को हिरासत में लिया गया या सजा दी गई। म्यांमार में जानलेवा हिंसा और प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की धमकियां सेना को सत्ता छोड़ने और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे प्रदर्शनों को दबाने में नाकाम रही हैं। इस तख्तापलट ने दक्षिणपूर्वी एशियाई देश में लोकतंत्र की दिशा में हुई वर्षों की धीमी प्रगति पर पानी फेर दिया है।

   सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में प्रदर्शनकारियों का एक समूह एक युवा शख्स को कंधे पर ले जाते दिख रहा है, जिसमें उसके सिर पर गंभीर चोट आई है। उसकी हालत का तत्काल पता नहीं चल सका है। रिपोर्ट के मुताबिक गोलीबारी में कम से कम सात लोग घायल हुए हैं जिनमें से दो को गंभीर चोट आई है और सैनिकों ने उन्हें हिरासत में ले लिया है। सादे कपड़े पहने सशस्त्र पुलिसकर्मियों ने पांच लोगों को हिरासत में लिया। तीन अलग-अलग घटनाओं में गिरफ्तारियां हुई। इस बीच दशकों से सरकार से लड़ रहे जातीय अल्पसंख्यक विद्रोही समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले कारेन नेशनल यूनियन ने थाईलैंड की सीमा से लगते अपने गृहनगर में गांवों और निहत्थे नागरिकों के खिलाफ ‘‘लगातार बमबारी और हवाई हमलों’’ की निंदा की है। क्षेत्र में काम कर रही एक राहत एजेंसी फ्री बर्मा रेंजर्स के अनुसार कारेन के नियंत्रण वाले इलाकों में 27 मार्च के बाद से 12 से अधिक नागरिक मारे गए और 20,000 से अधिक विस्थापित हो गए। करीब 3,000 कारेन थाइलैंड भाग गए लेकिन अस्पष्ट परिस्थितियों में लौट आए हैं। थाई अधिकारियों का कहना है कि वे स्वेच्छा से लौटे हैं लेकिन सहायता समूहों का कहना है कि वे सुरक्षित नहीं हैं और कई लोग सीमा पर म्यांमा वाली तरफ जंगलों और गुफाओं में छिपे हुए हैं।

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