धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़। आदिवासी बाहुल्य अंचल धरमजयगढ़ क्षेत्र में आज भी प्रायः प्रायः प्रत्येक पंचायत में एक आध ऐसा व्यक्ति आसानी से देखने को मिल जाएगा जो मानसिक रोग से ग्रसित हैं और इसे दुर्भाग्य ही कहा जाय कि इन क्षेत्र के लोगों मे आज भी अंधविश्वास हावी है। जो इलाज के आभव में या तो विक्षिप्त होकर इधर उधर घूम रहे हैं या फिर इनके परिजन इसे भूतप्रेत का हवाला देकर इलाज के बजाय झाड़फूंक करवाने के चक्कर में मानसिक रोगी की जिंदगी बर्बाद कर देते हैं।बहरहाल धरमजयगढ़ विकासखण्ड का एक समाज सेवक सुधन्नो साना इस विषय को लेकर ग्रामीणों तक पहुँचकर जागरूक करने के साथ ही मानसिक रोगी को इलाज हेतु उनके परिजनों को प्रेरित करने में लगा है। वही राज्य मानसिक चिकिसालय सेन्द्री बिलासपुर से क्षेत्र के कई मानसिक रोगियों का उपचार हुआ है और आज की स्थिति में वे सब एक अच्छी और बेहतर जिंदगी अपने परिवार के साथ गुजारते देखे जा रहे हैं।खैर आज धरमजयगढ़ के पीपरमार और चरखापारा से एक-एक कुल दो विक्षिप्त युवकों को धरमजयगढ़ न्यायालय से कागजी कार्यवाही पूरी कर बिलासपुर के मेंटल हॉस्पिटल उपचार के लिए भेजा गया। क्षेत्र के मेंटल लोगों को बिलासपुर सेन्द्री के मेंटल हॉस्पिटल तक पहुचवाने का कार्य कर रहे सुधन्नो का कहना है कि इस रोग के बारे में लोगों में बहुत अफवाहें फैली हुई हैं। आज मानसिक रोगियों के मर्ज को छुपाने की नहीं बल्कि समुचित उपचार की आवश्यकता है। यह बहुत बड़ी बीमारी नहीं है, लोगों को मानसिक बीमारियों के संबंध में शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि समय पर उपचार मिले। और इस मर्ज का इलाज हो सके।