जोहार छत्तीसगढ़, गुरुचरण सिंह राजपूत
धरमजयगढ़-: एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार गांव गांव नल जल पहुंचाने को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। धरमजयगढ़ नगर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में अभी तक न तो सड़क बनी है और न ही नल जल योजना पहुंच पाया है। यह गांव विकास से कोसों दूर है। हम बात कर रहे हैं,रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ से लगे ग्राम पंचायत लक्ष्मीपुर के आश्रित ग्राम सेमीपाली की जो कई फिट ऊंचे पहाड़ पर बसा है। गांव में लगभग 40 परिवार निवास करते हैं, यहां माझी व आदिवासी समाज के लोग निवासरत हैं और वर्षों से मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों का इस गांव की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। अधिकारी व जनप्रतिनिधि जहां मिनरल वाटर पी रहे हैं वहीं यहां के लोग ढोढ़ी से निकलते हुए दूषित पानी पीने को मजबूर है। एवं पहाड़ चढ़कर गाँव तक पहुचने के लिए कोई सड़क नही है। ऊपर से घने जंगलों के बीच जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है। इस गांव के लोग राशन लेने 3 किलोमीटर का सफर पहाड़ के रास्ते भारी मुसीबातों के बीच तय करते हैं। अगर इस गांव में कोई बीमार पड़ जाय तो स्वास्थ्य विभाग की वाहन तो दूर दुपहिया वाहन से भी मरीज को अस्पताल तक नही ले जाया जा सकता।ऐसे में कई बार यहां के लोगों की जान पर बन आती है। कुल मिलाकर गांव में यदि माचिस की भी आवश्यकता हो तो खरीदने के लिए पहाड़ से उतरना पड़ता है। इसके अलावा पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीण ढोढ़ी का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। औऱ इस पानी को लेने के लिए भी लगभग एक किलोमीटर दूर जंगल किनारे जाना पड़ता है ऐसे में उनके समक्ष संक्रमण व बीमारियों के अलावा जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता हैं।हालांकि की गांव में सरकार ने हेंडपम्प जरूर लगवाया है लेकिन जिस तरह इस गांव में कई महीनों लाइट नही रहती ठीक इसी तरह हेंडपम्प का भी हाल बेहाल है। घने जंगलों और पथरीले डगर के बीच पहाड़ चढ़ना न तो विभागीय अधिकारियों को भाता है और ना ही कोई जनप्रतिनिधि इन्हें इनके मूलभूत सुविधाओं का हक दिलाने आगे आता है। ऐसे में सेमीपाली के ग्रामीण मुसीबतों और भारी कठनाइयों के दौर का सामना करते देखे जा रहे है। गांव के पंच के अनुसार सड़क बिजली पानी के अलावा गांव में अनेको समस्या है जिसे लेकर सरपंच सचिव से कई बार फरियाद की गई किंतु हालत जस की तस बनी हुई है। सबसे मजेदार बात है कि छत्तीसगढ़ ने ग्राम पंचायत लक्ष्मीपुर को रुआबन योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं करोड़ों खर्च करने के बाद भी इस पंचायत का आश्रित ग्राम का हल इतना बुरा है। अधिकारियो कर्मचारियों को ग्रामीणों के समस्या से कोई लेना देना नहीं है। जनप्रतिनिधि भी सिर्फ चुनाव के समय ही बड़ी बड़ी बात करते है उसके बाद फिर इन गरीब आदिवासी परिवार की उसी हाल में छोड़ देते हैं।