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कोरोना काल में 4 किलोमीटर जंगल के रास्ते पैदल चलकर पढऩे जाते हैं अदिवासी क्षेत्र के बच्चे

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जोहर छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
कोरोना वायरस ने पूरे देश में कोहराम मचा रखा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्कूल कॉलेज सब बन्द पड़े हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर ऑनलाइन पढ़ाई व पढ़ाई तुंहर पारा शुरू की है। जिसमें बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। वहीं जिस क्षेत्र में संक्रमण नहीं है वहां शिक्षक मोहल्ले में जाकर पढ़ा रहे हैं। जहां सुविधा है वहां के लिए सब ठीक है। लेकिन कई जगहों पर शिक्षक मनमानी कर रहे हैं। जिससे बच्चों को कई तरह से परेशानी हो रही है। बात कर रहे हैं धरमजयगढ़ तहसील के चुल्हाखोल गांव के 8 बच्चे 4 किलोमीटर दूर जंगली हाथी प्रभावित क्षेत्र का सफर तय कर साजापाली पढ़ाई करने जाते है। ये एक ऐसा गांव है जहां के बच्चे 4 किलोमीटर की पैदल यात्रा और जंगली जानवरों के खौफ के बाद स्कूल पहुंच पाते हैं। धरमजयगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत साजापाली के मीडिल स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि शिक्षकों की कमी की वजह से चूल्हाखोल के बच्चों को साजापाली पढाई के लिए बुलाया जाता हैं। इसके अलावा धूप हो या बारिश का मौसम सुबह घर से जब ये बच्चे नास्ता करके निकलते हैं तो दोपहर बाद तक ये बच्चे भूखे प्यासे स्कूल में पढ़ाई कर कई घण्टों बाद घर वापस आते हैं। अभी के परिस्थिति को देखते हुए शासन को चाहिए कि ऐसे बच्चों के लिए उनके गांव में ही पढऩे की व्यवस्था करें।

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