रायगढ़-जोहार छत्तीसगढ़। शहर के भीतर कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि होनें के बाद तथा खासकर बिना क्वारंटाईन वाले सामान्य लोगों के कोरोना पॉजिटीव आने के बाद से शहरीक्षेत्र में कोरोना का खौफ सिर चढक़र बोलने लगा है। मास्क और सेनेटाईजर का उपयोग करने के बावजूद हर कोई सामने वाले व्यक्ति को संदेह की नजर से देखने लगा है। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा सप्ताह में एक दिन टोटल लॉकडाऊन और बाकी के 6 दिन समय पर पाबंदी की घोषणा कोरोना संक्रमण से लड़ाई में आधी अधूरी कोशिश ही नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमित मरीज की जानकारी छुपाने की वजह से इस संक्रमण के और बढऩे तथा कम्यूनिटी इन्फेक्शन का भी खतरा पूरे शहर पर मंडराने लगा है। रायगढ़ शहर तथा जिले के लिए वैसे तो यह राहत का विषय है कि पिछले सप्ताह भर को अगर छोड़ दिया जाए तो अब तक केवल बाहर से आने वाले और होम क्वारंटाईन तथा क्वारंटाईन सेंटर में रहने वाले व्यक्ति ही कोरोना संक्रमण की जद में आए हैं। मगर पिछले एक सप्ताह के दौरान जिस तरह से सामान्य वर्ग के लोगों में भी कोरोना का संक्रमण फैला है उसे देखते हुए जिला प्रशासन को पूर्व की भांति टोटल लॉकडाऊन का सख्ती से लागू करने की जरूरत है। जिला प्रशासन को इसके लिए सिर्फ सबसे पहले किए गए लॉकडाऊन प्रक्रिया को ही दोहराना होगा और पुलिस प्रशासन को इसे लागू करने के लिए वही सख्ती फिर से दिखानी होगी। इसके अभाव में सामान्य लोगों में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा लगातार बढ़ रहा है। पिछले दिनों शहर के धांगरडिपा, चांदमारी और चांदनी चौक क्षेत्र में जिस तरह से सामान्य दिनचर्या वाले लोग कोरोना संक्रमण से पीडि़त हुए हैं उसे देखते हुए जिलाधीश और जिला प्रशासन का वर्तमान रूख आधी अधूरी कोशिश ही नजर आ रहा है। जिसके कारण सख्ती के अभाव में पूरे शहर के ऊपर कम्यूनिटी इन्फेक्शन का खतरा मंडराने लगा है। जिलाधीश को इस पूरे मामले को सूक्ष्मता से संज्ञान में लेकर और कार्ययोजना बनाकर इस दिशा में अमल की पहल करने की जरूरत है। दूसरी बात यह है कि अब तक रायगढ़ जिले में जितने भी कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है उनके नाम पते स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन के द्वारा अब तक छुपाये जाते रहे हैं। मगर एक दिन पहले ही चांदनी चौक क्षेत्र में कोरोना संक्रमित पाए गए मंदिर के पुजारी का मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन को इस दिशा में नई सोच के साथ पहल करने की जरूरत है। ज्ञातव्य रहे कि मंदिर के जिन पुजारी का कोरोना पॉजिटीव पाया गया है वे ओडिया समाज के प्रतिष्ठित व सम्मानित पुजारी और पुरोहित हैं और वे पूरे दिन घूम-घूमकर अलग-अलग क्षेत्रों में पूजा पाठ, कर्मकांड आदि कराते रहते हैं। इसके अलावा वे घुमक्कड प्रकृति के भी बताए जाते हैं। ऐसे में मंदिर के पुजारी से सभी संपर्क का पता लगाना संभव ही नही है। दूसरी ओर मंदिर के पुजारी का नाम पता उजागर नही होनें के कारण ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो पिछले कुछ दिनों के दौरान पुजारी के संपर्क में आए हों। मगर पुजारी को इनका नाम पता याद न हो। ऐसे में सामान्य वर्ग से कोरोना संक्रमण मरीज सामने आने के बाद जिला प्रशासन को ऐसे मरीजों के नाम पते उजागर करने की जरूरत है। जिससे कि उनके संपर्क में आए लोग स्वयं सतर्क हो सकें और सेंपल जांच के लिए अपनी ओर से आगे आ सकें। इससे पुलिस व जिला प्रशासन की मॉनिटरिंग और पूछताछ में भी कमी आएगी और संक्रमण के डर से लोग खुद सामने आ सकेंगे। जिला प्रशासन को उपरोक्त बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करने के बाद इस विषय में ठोस निर्णय लेने की जरूरत है। ताकि शहर के भीतर तथा पूरे जिले में कोरोना संक्रमण से लड़ाई में आप हम सब मिलकर हाथ बढ़ा सकें।