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पक्के मकान में रहने का सपना हुआ चूर-चूर, दफ्तरों के चक्कर में घिस गये कई जोड़ी चप्पल

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जोहार छत्तीसगढ़-कोरिया।
जिले के विकासखण्ड भरतपुर के ग्राम पंचायत खोहरा में 3 हितग्राहियों के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रथम किस्त 52 हजार एक्सिस कियोस्क संचालक द्वारा हड़पने का मामला सामने आया है 33,
जनपद पंचायत भरतपुर के ग्राम खोहरा का मामला जहां फ ूलसाय, इंद्रपाल और जमुना प्रसाद का 2018-2019 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत हुआ था। जहां इन ग्रामीणों ने बताया कि हमारे पास पहले से ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जनकपुर का खाता था। जिसका एटीएम भी हमारे पास था। ग्राम खोहरा के सचिव और रोजगार सहायक के द्वारा जनपद कार्यालय जनकपुर में बुलाकर बताया गया कि इस खाते में आपका आवास का पैसा नहीं आ पाएगा और आपको एक्सिस बैंक में खाता खुलवाना पड़ेगा जिसका एटीएम भी आपको दिया जाएगा। एक्सिस बैंक में खाता खोलने के बाद इन ग्रामीणों के खाते में फ ूलसाय, इंद्रपाल, और जमुना प्रसाद के खाते में प्रथम किस्त राशि 52000 आया मगर यह पैसा हितग्राहियों को नहीं मिला जिसके कारण इनके घर का निर्माण कार्य आज तक चालू नहीं हो सका।
ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कई अधिकारियों के पास की है। जिसमें उन्होंने बताया है कि हमारा प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ था जिसकी राशि एक्सिस बैंक के खाते में प्राप्त हुआ था एक्सिस बैंक से हमको एटीएम कार्ड एवं पासवर्ड मिला था। हमारे एटीएम कार्ड को विजय यादव कियोस्क संचालक ग्राम खिरकी द्वारा ले लिया गया एवं एटीएम से संपूर्ण राशि आहरण कर एटीएम वापस लौटा दिया गया।
प्रश्न चिन्ह इस बात पर भी लगाया जा सकता है कि आखिर ग्रामीणों के पास जनकपुर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाता धारक है और इनके पास स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एटीएम भी था फि र आखिर क्यों ऐसे बैंक में इनका खाता खुलवाया गया जो कि बैकुंठपुर मुख्यालय में है एक्सिस बैंक। जबकि जनकपुर में क्षेत्रीय ग्रामीण बैक जनकपुर भी है। ग्रामीणों का आज भी हौसला नहीं टूटा है और उन्हें आशा है कि उच्च अधिकारियों की नजर शायद इन गरीबों पर पड़े और इन्हें न्याय मिल सके। सोचने वाली बात यह है कि थोड़े पैसों के लिए किसी गरीब का आवास ही छीन लिया जा रहा है। क्योंकि उन गरीबों की अगली प्रधानमंत्री आवास की किस्त अब तक नहीं आएगी जब तक विभाग द्वारा इनके घर के कार्य की फ ोटो अपलोड नहीं की जाएगी। और जब इन गरीबों को पैसा मिला ही नहीं तो घर का काम भी चालू नहीं हुआ। सोचने वाली बात यह है कि आखिर अभी तक इन हितग्राहियों को इंसाफ क्यों नहीं मिल पाया सिस्टम गहरी नींद में क्यों हैं।

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