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कोरोना साबित हुआ बिजली विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के लिए वरदान … सीएमएचओ रायगढ़ के रिपोर्ट में जिले में एक भी रेपिड किट से नहीं मिला पॉजिटिव … क्या जेल जाना न पड़े इसलिए बनाया डॉक्टर ने फर्जी कोरोना रिपोर्ट?

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जोहर छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
आज पूरा विश्व कोरोना से परेशान है और शासन-प्रशासन सभी इसे गंभीरता से ल रहे हैं लेकिन इस कोरोना के नाम से कई लोग गलत तरीके से फायदा ले रहे हैं। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं बता दे कि कुछ दिन पहले धरमजयगढ़ के गेरसा में करंट लगने से एक हाथी की मौत हो गई थी जिस पर वन विभाग ने बड़ी कार्यावाही करते हुए विद्युत विभाग के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। दूसरे दिन तीनों को धरमजयगढ़ न्यायालय में पेश किया जहां न्यायाधीश ने तीनों की जमानत याचिका खारिज कर दी। जमानत याचिका खारिज होने से तीनों का जेल जाना तय हो गया। लेकिन जेल भेजन से पहले तीनों का सिविल अस्पताल धरमजयगढ़ में स्वास्थ्य परिक्षण कराया गया जहां तीनों का कोरोना जांच रेपिड आरडी किट से किया डॉक्टर ने तीनों का रिपोर्ट पॉजिटिव बताया जिस कारण उन्हें जेल न भेजकर कोरोना ईलाज हेतु मेडिकल कॉलेज रायगढ़ भेजा गया। जहां आर.टी.पी.सी.आर किट से जांच होने पर इनका रिपोर्ट निगेटिव आया यहां तक सब सही है। लेकिन जांच का विषय यह है। जिला स्वास्थ्य समिति रायगढ़ ने 11 जुलाई को प्रेस विज्ञाप्ति जारी किया है जिसमें पूरे जिले में आज तक रेपिड आरडी किट से कुल 5761ं जांच होना बताया गया जिसमें एक भी पॉजेटिव नहीं पाया गया जिससे साफ झलकता है कि धरमजयगढ़ स्वास्थ्य विभाग का जो भी अधिकारी तीनों का पॉजिटिव बताया है वह फर्जी है। और उनको जेल जाने से बचाने हेतु षडय़ंत्र किया गया है। जिससे यहां के स्वास्थ्य विभाग पर उंगली उठना लाजमी है। स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा पॉजिटिव रिपोर्ट देने के बाद पूरे शहर में हड़कंप मच गया था। क्योंकि जिनका रिपोर्ट पॉजिटिव बताया गया उनके संपर्क में सैकड़ों लोग आये थे।

क्या जेल जाने से बचाने वाले डॉक्टरों पर कार्यवाही होगा?


हाथी के मौत के मामले में गिरफ्तार तीन शासकीय कर्मचारियों को जेल जाने से बचाने के लिए सिविल अस्पताल धरमजयगढ़ के डॉक्टरों द्वारा रेपिड किट से कोरोना जांचकर पॉजिटिव होना बताया गया था जिसके बाद तीनों आरोपियों को जेल ले जाने के बजाए मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। सबसे मजेदार बात यह है कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी जिले में आज तक रेपिड किट से एक भी पॉजिटिव नहीं होना बता रहे हैं। फिर धरमजयगढ़ सिविल अस्पताल के डॉक्टर द्वारा दिये गये रिपोर्ट फर्जी है क्या? अगर इनका रिपोर्ट फजी है तो फिर इन फर्जी रिपोर्ट देने वाले डॉक्टरों पर कार्यवाही प्रशासन क्यों नहीं कर रही हैं। जबकि माननीय न्यायालय द्वारा तीनों शासकीय कर्मचारियों को जेल वारंट जारी किया गया था। धरमजयगढ़ के डॉक्टरों द्वारा ऐसा करके क्या न्यायालय के आदेश का अवहेलना नहीं किया है अगर किया है तो फिर इनपर कार्यवाही क्यों नहीं हो रहा है?

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