जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़। अवैध बिजली कनेक्शन की वजह से गेरसा में हुए जंगली हाथी की मौत में आरोपी बनाए गए विद्युत विभाग के अधिकारी कर्मचारी की सिविल कोर्ट धरमजयगढ़ में लगी जमानत याचिका खारिज होने के बाद इस मामले में एक नया मोड़ सामने आ गया है।और बताया जा रहा है कि रैपिड टेस्ट के दौरान विद्युत विभाग के एक कर्मचारी का कोरोना पाजेटिव पाया गया है। अब इस बात को लेकर एक बड़ा सवाल उठता है कि जब उक्त आरोपी को जेल भेजने से पूर्व स्वास्थ्य परीक्षण के लिए सिविल अस्पताल धरमजयगढ़ ले जाया गया था उस समय इस वैशविक महामारी को नजरअंदाज कर रैपिड टेस्ट क्यों नहीं कराया गया? जब सिविल कोर्ट धरमजयगढ़ ने विधुत विभाग के इन दोनों कर्मचारियों की जमानत याचिका खारिज की उसके कुछ घन्टो बाद अचानक से इनमें से एक कर्मचारी कोरोना का मरीज पाया जाता है। इसके अलावा दूसरी सबसे बड़ी बात विद्युत विभाग के जिस कर्मचारी को आरोपी बनाया गया है वह सर्वप्रथम तो वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के सम्पर्क में रहा इसके बाद पूरे न्यायालय परिसर और रायगढ़ जिले से आई हुई विद्युत विभाग की पूरी टीम के साथ किसी प्रकार के शोशल तथा फिजिकल डिस्टेंस का पालन नहीं किया गया, तो क्या वन विभाग के साथ साथ कोर्ट परिसर और विद्युत कर्मचारियों के दफ्तरों को सील करने के साथ साथ धरमजयगढ़ नगर के जितने भी हमदर्द इस दौरान आसपास रहे उन्हें भी होम आइसुलेट किया जाने की कोई रणनीति तैयार की जावेगी अथवा यु ही कोरोना को भी नजरअंदाज कर नगर वासियों को मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा।