धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।

धरमजयगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत दर्रीडीह में कई ऐसे निःसहाय, गरीब परिवार के जरूरतमंद लोग हैं जिनके पास राशनकार्ड नही है। कोरोना रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन के दौरान किसी प्रकार की समस्या ना हो इसलिए प्रदेश के तमाम ग्राम पंचायतों में अलग से राशन की व्यवस्था की गई है। किन्तु दर्रीडीह सरपँच-सचिव इस पंचायत में भ्रष्टाचार का खुला खेल तो कर ही रहे हैं। साथ ही मानवता के नाम पर गरीबो को मिलने वाले अनाज पर भी डाका डालने से नहीं चूक रहे है। इस तरह के कई ऐसे मामले दर्रीडीह पंचायत से सामने आ रहे हैं। जिससे ग्रामीण खुलकर सरपंच, सचिव के भ्रष्टाचार की कथा सुना ही रहे हैं। साथ ही इनके कार्यप्रणाली पर गम्भीर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं। इस विवादित पंचायत को लेकर स्थानीय प्रशासन भी गम्भीर नही है। जिसकी जांच कर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की जा रही हैं।

गरीब परिवार का एपीएल औऱ अपात्रों का बीपीएल कार्ड बनवाया सरपंच-सचिव ने
बेवा निःसहाय तथा गरीब परिवार के लोगों को चिन्हांकित कर उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए राशन कार्ड बनाया जाता है। किंतु दर्रीडीह सरपंच जोगेंद्र एक्का तथा सचिव नन्दलाल राठिया के गलत कारनामे के कारण जरूरतमन्दों की अनाज के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। उनके नाम से एपीएल राशन कार्ड बनवा दिया गया और जो लोग गरीब रेखा की लिस्ट में अपात्र माने जा रहे है। उनके लिए बीपीएल कार्ड बनवा दिया गया। कुल मिलाकर गरीब परिवार को एपीएल कार्ड या कार्ड ही नही बनाया गया है। जिससे गांव के ग्रामीणों में जमकर आक्रोश फैल रहा है।
ढाई-ढाई साल का फार्मूला बना पंचायत के लिये घातक
अब जो हम बताने जा रहे हैं उस बात से आप अंदाजा लगाइये की दर्रीडीह पंचायत के सरपंच, सचिव के साथ ही गांव के नेताओं ने मिलकर पंचायती चुनाव में सरपंच जब निर्विरोध निर्वाचित नहीं हुए तो 50-50 का फार्मूला बनाकर ढाई ढाई साल अलग अलग व्यक्ति द्वारा सरपंची चलाने का निर्णय लिया गया। जिसमें जोगेंद्र एक्का को पहली पारी खेलने का मौका मिला।जबकि जोगेंद्र एक्का पूर्व में भी पंचायत के सरपंच पद का दायित्व सम्भाल चुके हैं और हेरा फेरी करने का काफी अनुभव भी प्राप्त है। ऐसे में ढाई साल तक समय रहते शासन की योजनाओं के बहाने ग्रामीणों को जमकर चूसा जा रहा है।