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महामारी प्रतिबंधों के दौरान भी रोज हजारों रूपए कमा रहा जय सिंह का परिवार… आदिवासी परिवार लाकडाउन में भी मनरेगा के कुएं से निरंतर लाभान्वित हो रहा …

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कोरिया। हौसले के साथ अगर संसाधन जुड़ जाएं तो किसी भी तरह की कठिन परिस्थिति व्यक्ति के लिए चुनौती नही बन सकती। लाकडाउन के कठिन समय में ग्राम पिपरिया में रहने वाले जय सिंह और उनके परिवार ने यह सच साबित कर दिखाया है। आज जब वैश्विक महामारी के इस दौर में रोजगार और आजीविका तलाश की कठिनाई से घबराकर लोग इधर-उधर रास्ते तलाश रहें हैं ऐसे समय मे अपने घर में ही सब्जी का बम्पर उत्पादन करते हुए जय सिंह प्रतिदिन एक से डेढ़ हजार रुपए की सब्जियां बेचकर आर्थिक मजबूती बढ़ा रहे हैं। कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ जनपद पंचायत अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के किनारे बसा हुआ गांव है पिपरिया। यँहा आदिवासी समुदाय के श्री जय सिंह अपने परिवार सहित रहते हैं जिसमें 2 बेटे और 2 छोटी बेटियाँ हैं। जय सिंह का बड़ा बेटा कृषि स्नातक स्तर पर अध्ययनरत है वन्ही दूसरा बेटा स्नातक स्तर पर मनेन्द्रगढ़ कालेज में अध्ययन कर रहा है। इस परिवार को लाकडाउन के दौरान मिले लाभ की जानकारी लेने पर पता चला कि उनके मेहनती हौसले के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का साथ बहुत महत्वपूर्ण रहा। श्री जय सिंह के पास कुल 5 एकड़ 70 डिसमिल कृषि भूमि है। उन्होंने ग्राम पंचायत में ग्राम सभा के दौरान अपनी निजी भूमि पर एक कूप बनाए जाने का आवेदन किया। गत वर्ष ही इस कूप का निर्माण पूर्ण हुआ है। कूप से मिले सिंचाई के साधन पर खुशी जताते हुए हितग्राही जयसिंह ने बताया कि इस बार उन्होंने समय से पहले धान की नर्सरी और रोपा लगाया जिससे उन्हे चार एकड भूमि में ही बम्पर धान की फसल मिली। उन्होंने एक लाख रुपए से ज्यादा का धान सहकारी समिति में बेच लिया। इसके तुरंत बाद उन्होंने अपने बाड़ी में पालक, लालभाजी, भिंडी की फसल लगाई इससे उन्हें 30 हजार रुपए से ज्यादा का मुनाफा हुआ। इस फसल के बाद जयसिंह ने अपने खेतों में टमाटर धनिया और भिंडी की दूसरी फसल ली है। इसी दौरान महामारी के कारण लाकडाउन भी लगा परन्तु इस कठिन समय मे वही वह बीते लगभग दो माह से औसतन 1200 रुपए की सब्जी प्रतिदिन बेच रहे हैं। जयसिंह की मेहनत आस-पास के किसानों के लिए एक मानक बन गई है। अब जयसिंह का कहना है कि मुझे अलग से कोई कार्य करने की जरूरत नहीं है। मेरे पास पर्याप्त आय और सुनिश्चित रोजगार का साधन उपलब्ध हो चुका है।

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