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क्या भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था का करेंगे सुधार? … सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे … दिल्ली के तर्ज पर हो छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था में सुधार …

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रायपुर-जोहार छत्तीसगढ़ । छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अलख जगाने प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी अपनी औपचारिकता योजनाओं के जरिए पूरा कर दिया और सरकारी स्कूल के बच्चे आज भी अनार, आम से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। और वहीं शिक्षा का स्तर में लगातार गिरावट ही देखी जा रही है। आदिवासी बाहुल्य होना जहां इस क्षेत्र के लिए वरदान माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ इन्हीं आदिवासी बच्चों तक शिक्षा की बयार आधी-अधुरी पहुंचना इनके लिए किसी अभिशाप से भी कम नहीं है। ऐसे में पढ़ रहे बच्चों का कल क्या भविष्य होगा इस बात का आसानी से समझा जा सकता है। धरमजयगढ़ विकासखण्ड के सरकारी स्कूलों की बात करें तो कहीं शिक्षक नदारत हैं तो कही शिक्षकों की कमी है। और जहां ये दोनों व्यवस्थाएं सही है। वहां का शिक्षा व्यवस्था की हालत बद से बदत्तर है। कुल मिलाकर आदिवासी क्षेत्र के सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की तकदीर में अब तक अंधेरा ही अंधेरा दिखाई दे रहा है।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा को लेकर शिक्षा मंत्री गंभीर नहीं?
छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल एवं स्कली शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह ने जब शिक्षा मंत्री का पद संभाला तो प्रदेश वासियों को यह पूरा उम्मीद था कि कुछ हो ना हो क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था जरूर जागेगी। लेकिन सारी उम्मीदें केवल उम्मीद ही साबित हुई जो शायद ही पूरा हो जबकि उच्च तकनीकि एवं शिक्षा मंत्री उमेश पटेल स्वयं आईटी में इंजीनियरिंग कर चुके हैं। ऐसे में शिक्षा मंत्री भी अच्छे से जानते है कि इन आदिवासी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों की क्या हालत है। और स्कूली बच्चों का क्या भविष्य है। बहरहाल राज्य के शिक्षामंत्री भी राजनैतिक गलियारों में भटककर क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को लेकर गंभीर नहीं है। वरना शासन के नियमों और योजनाओं पर अमल करें तो निश्चित ही इस क्षेत्र के आदिवासी बच्चे भी सरकारी स्कूल में पढ़कर आईएस, आईपीएस जैसी महत्वपूर्ण पदों में विराज करते।
शिक्षा विभाग तमाशा देख रहा
इस मसले को लेकर न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि सक्रिय हैं। और न ही विभागीय अधिकारी इस समस्या पर लगाम कस पा रहे हैं। जिसका नतीजा सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का मनमाना रवैया देखने को मिलता है। वहीं बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके इसके लिए शासन के लाखों उपाए धत्ता साबित हुए हैं। यह योजनाओं केवल कागजी आंकड़ों में ही आसमान छु रही है। जबकि जमीनी हकीकत तो यह है कि सरकारी स्कूल में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं का सस्थान में केवल टाइमपास ही हो रहा है। और स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारी सिर्फ तमाशा देख रहे हैं?

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