बिलासपुर। आज के समय में एक रुपया कौन लेता है और कौन देता है, लेकिन एक रुपया की कीमत कम नहीं होती। इसी को ताकत बनाकर छतीसगढ़ के बिलासपुर की सीमा आज बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं। सीमा फिलहाल कानून की पढ़ाई कर रही हैं। इसके साथ-साथ वह समाजसेवा में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हैं। सीमा गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं। इसी के चलते उन्होंने एक मुहिम शुरू की थी, जिसका नाम था ‘एक रुपया मुहिम’। इस मुहिम ने आगेचलकर एक अभियान का रूप ले लिया जो जरूरतमंद बच्चों के साथ-साथ असहाय लोगों की मदद भी कर रहा है। इसी मुहिम के तहत सीमा स्कूल, कॉलेज व अन्य स्ंस्थाओं में जाकर बच्चों और शिक्षकों को जागरूक करती हैं और उनसे एक-एक रुपयो लेती हैं। इससे जो भी धन इकट्ठा होता है, उससे वह जरूरतमंदों की मदद करती हैं। अब तक वह पचास से ज्यादा जरूरतमंद बच्चों की स्कूल फीस दे चुकी हैं।
2016 में शुरू की मुहिम
सीमा ने ये मुहिम अगस्त 2016 में सीएमडी कॉलेज से शुरू की थी। उनकी मुहिम के पहले प्रयास में केवल 395 रुपये इकट्ठा हुए थे। इस चंद राशि से सीमा ने एक सरकारी स्कूल की छात्रा की फीस भरी और उसे कुछ स्टेशनरी खरीद कर दी। उस छात्रा की मदद करते समय उन्हें अहसास हुआ कि कोई भी योगदान छोटा नहीं होता। क्योंकि ज़रूरी नहीं कि कुछ बड़ा करके ही अच्छा किया जाये, कभी-कभी छोटी-सी कोशिश का भी बड़ा असर हो जाता है।
ऐसे हुई शुरुआत
जब सीमा ग्रेजुएशन कर रहीं थीं, तो उनकी एक दोस्त, जो दिव्यांग थी, उसने ट्रायसाइकिल खरीदने में कॉलेज प्रशासन से मदद मांगी। कॉलेज प्रशासन ने आश्वासन तो दिया, लेकिन कुछ किया नहीं। तब सीमा ने प्रयास शुरू किया, तो उन्हें पता चला कि दिव्यांगों को ये साइकिल फ्री मिलती है। लेकिन सीमा को ये बात नहीं पता थी। उन्होंने बेहद शरम महसूस की और जानकारी जुटाई। यहां से सीमा को एक नयी दिशा मिली।