Home समाचार बचपन में की गई भक्ति अमृत के समान है — देवी ममता

बचपन में की गई भक्ति अमृत के समान है — देवी ममता

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जाँजगीर चाँपा — ध्रुव ने बचपन में भगवान की भक्ति कर प्रभु को पा लिया था। बचपन में की गयी प्रभु की भक्ति कई गुणा फल देती है। इसलिये आप सभी मनुष्य जीवन भगवत् प्राप्ति के लिये मिला है। अपने बच्चों को धर्म की कमाई करने की सीख देते हुये भगवान की ओर अग्रेषित करें। आज की युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति के भ्रम जाल में फंँसकर भारतीय सनातन संस्कारों को भूल चुकी हैं और आज के युवा पाश्चात्य त्यौहारों को मनाने के बहाने नशे का सेवन कर रही है। नशा करना हमारी संस्कृति में नहीं है। आज की युवा अपनी शक्ति का प्रयोग सामाजिक कुरीतियों में नष्ट कर रहे है और माता-पिता का अनादर कर रहे है, बुजुर्गो का अपमान कर रहे है। अपने बच्चों को माडर्न जरूर बनाये लेकिन साथ ही उनको भगवान के प्रति, धर्म के प्रति अग्रेषित करें और संस्कारवान बनाये। ताकि वेअपने दायित्व को निभाते हुये जीना सीखे। संसार में रहकर भगवान को पाने की कोशिश करे।
मरलेचा परिवार द्वारा आयोजित विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय के पीड़ित गोवंश हितार्थ श्रीमद्भागवत कथा महामंडलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज के पावन सानिध्य में किया जा रहा है। श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस आज देवी ममता जी के श्रीमुख से हजारों की संख्या में भक्तों ने कथा का रसपान किया। इसके साथ ही कथा वाचिका ने ब्रह्मा जी की उत्पत्ति व सृष्टि रचना का विस्तार से वर्णन किया। ब्रह्मा, विष्णु व महेश द्वारा क्रमशः सृष्टि रचना, सृष्टि पालन व सृष्टि संहार किया जाता है। भगवान के कपिल अवतार का प्रसंग बताते हुये उन्होंने भगवान के विभिन्न अवतारों की कथा सुनायी। इस अवसर पर घेवरराम डोगीवाल मुख्य यजमान बने इन्होंने 5100 रूपये भेंट कर गौहितार्थ सहयोग किया। कथा के दौरान गुप्तदान दाताओं ने गोवंश हितार्थ एक लाख रूपये की खल का सुन्दर सहयोग दिया, (11000) बजरंगलाल रागाणी, (2100) एकता बंग सहित दर्जनों दानदाताओं ने गोहितार्थ सहयोग किया। सभी दानदाताओं का व्यासपीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।आज की कथा में संत गोविन्दराम महाराज, गिरधारी राम महाराज व सोहनदास महाराज विशेष रूप से उपस्थित थे। ट्रस्ट की तरफ से श्रद्धालुओं को उपहार स्वरुप गौमाता के केलेण्डर वितरित किये गये ताकि भक्तों में गोमाता के प्रति श्रद्धा भाव उत्पन्न हो। भगवान नारायण के नाभि कमल से ब्रह्मा उत्पति व ध्रुव महाराज की दिव्य सजीव झांकीयाँ सजायी गयी थी जिसकी सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

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