जोहार छत्तीसगढ़-लैलूंगा इन दिनों नगर पंचायत चुनाव जहां आज कांग्रेस ने जीत दर्ज कि वहीं भाजपा को मात्र 2 सीटें मिली और 2 निर्दलीय जीत कर आए आज नगर में फिर से कांग्रेस कि सरकार बनना लगभग तय हो चुका है। वह कौन सी सीट है? जहां समान्य सीट होने के बाद भी एक आदिवासी ने बाजी मारी है। वह है वार्ड क्रमांक 3 कि सीट, जहां भाजपा ने अपने स्टार उमेश मित्तल को प्रत्याशी बनाया तो कांग्रेस ने पहले रविन्द्र भागवत कि पत्नी, फिर सुरेश डगला, फिर आदित्य बाजपाई, लेकिन अंतिम तक प्रत्याशी चयन करना कांग्रेस को मुश्किल सा हो गया था। अंत में भाजपा के पूर्व पार्षद रविन्द्र पाल धुर्वे को दबाव डाल कर कांग्रेस प्रवेश करवाते हुए टिकट दी गयी। फिर कांग्रेस से रविन्द्र पाल धुर्वे और भाजपा से उमेश मित्तल प्रत्याशी के रूप में जनता के सामने आए निर्दलीय के रूप में नरेश महंत फिर भाजपा का बड़ा नाम राजाराम यादव अंत में जब कांग्रेस को लगा कि इस सीट से उमेश मित्तल जितने में कामयाब हो जायगा सोचकर फिर उसने दिमाग का उपयोग करते हुए भाजपा के यूवा चहेरा आलोक गोयल का उपयोग किया गया। उसे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारा गया। भारी भरकम धन लगाया गया, की किसी भी तरह उमेश मित्तल चुनाव नही जीतना चाहिए और जयचन्द ने भाजपा के सभी वोटो को काटते हुए 79 वोट प्राप्त किये जो उमेश मित्तल के हार का मुख्य करण रहा रविन्द्र पाल धुर्वे को मात्र 143 वोट मिले उमेश को 105 वोट मिले और समान्य सीट से उमेश मित्तल 39 वोट से हार गये। जिसका कारण और कोई नहीं भाजपा ही है। भाजपा को इस चुनाव में भाजपा के लोग ही हराने में लगे हुए थे। लेकिन भाजपा उसे रोकने में कामयाब नही हो पा रही है। वार्ड क्रमांक 1 में जहां भाजपा का जीतना तय था। वहां पर भी भाजपा के बागी लक्की कोसरिया कि बेटी ने बाजी मारी। कांग्रेस ने शाम, दाम, दण्ड, भेद का पूरा उपयोग करते हुए चुनाव लड़ा जिसमें कामयाबी भी हासिल हुई और सत्ता कि चाबी भी। 🗝