प्रीतम जायसवाल, जोहार छत्तीसगढ़-कोरबा । कोरबा जिले में बढ़ते प्रदूषण और जिले के पर्यावरण अधिकारी की कार्यशैली की जांच हेतु छत्तीसगढ़ी क्रांति सेना के प्रदेश संगठन मंत्री दिलीप मिरी ने प्रधानमंत्री एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री सहित अन्य के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है जिसमें बताया गया है कि नासा के रिपोर्ट में कोरबा जिला प्रदूषण के नाम पर विश्व में 17वें स्थान पर है लेकिन जिले के बड़े उद्योगों द्वारा लगातार पर्यावरण के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रदूषण फैलाया जा रहा है जिसमें दीपका क्षेत्र स्थित एसीबी कंपनी द्वारा अपने पावर प्लांटो व राखड़ डेम से निकलने वाली राखड़ को किसानों के खेत एवं नदी नालों में बहाई जा रही है जिस पर पर्यावरण अधिकारी एसीबी कंपनी स्थापित होने के बाद से आज तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाए हैं दिलीप मिरी ने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी में जिला पर्यावरण अधिकारी आरपी शिंदे के द्वारा आज तक कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है जो संदेह पैदा करती है शिकायतकर्ता ने जिला पर्यावरण अधिकारी और उद्योगों के साथ सांठगांठ के आरोप भी लगाए हैं । दिलीप मिरी ने यह भी बताया कि कोरबा जिला मूलरुप से छत्तीसगढ़िया आदिवासी जिला है और यह जिला भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची में आता है साथ ही संपूर्ण जिले में पेशा कानून लागू है लेकिन पेशा कानून का पालन नहीं हो रहा है दुर्भाग्य की बात है कि यहां छोटे बड़े सैकड़ों की तादात में उद्योग व कारखाने हैं जिनके द्वारा मनमानी लगातार की जा रही है कानून का पालन ना तो यहां के छोटे बड़े उद्योग करते हैं और ना ही यहां के पर्यावरण संरक्षण के अधिकारी कानून का पालन करापाते हैं पावर प्लांटो से निकलने वाली राख से यहां के आदिवासियों की जमीन एक ओर जहां बंजर बना रही है वही यहां के रह वासी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं चारों तरफ उड़ने वाली राख और धुंआ व धूल के कणों से जहां लोगों का जीना मुश्किल हो गया है वही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है हालात ऐसे हैं कि कोरबा जिला विश्व में 17 में स्थान पर आ चुका है फिर भी अधिकारियों द्वारा लापरवाही की जा रही है अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब कोरबा जिला प्रदूषण के मामले में 10 में स्थान पर होगा और यहां के लोग सबसे ज्यादा गंभीर बीमारियों से ग्रसित मिलेंगे और लोगों को सांस लेने के लिए बाहर जाना पड़ेगा । जरूरत है सरकारों को कोयला खदानों में भ्रष्टाचार की रोकथाम करने की और यहां लगी कंपनियों और पावर प्लांटों के मनमानी पर रोक लगाने की ।