जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
इन दिनों हो रही बेमौसम बारिश से किसानों के माथे पर बल पड़ गया है। अपनी सारी जमा पूंजी खेती में लगाने के बाद अगर तैयार फसल को बर्बाद होते देखे तो किसान के ऊपर क्या गुजरेगा आप स्वयं कल्पना कर सकते हैं। और मुसीबत भी ऐसी कि इस प्राकृतिक आपदा से केवल और केवल भगवान ही बचा सकता है। सबसे पहले दलहन तिलहन का फसल बर्बाद हुआ उसके बाद मक्का का फसल और अब धान की बारी है। खरीफ का यह फसल जो किसान प्रारंभ में ही बुआई कर लिए थे उनके लिए यह बारिश भारी मुसीबत बनकर आया है। वही तेज हवा के साथ आ रहे इस बेमौसम बारिश से धान की खड़ी फसल गिर जा रही है और खेत में पानी भरे होने के कारण फसल सड़ रहा है। खेत में धान गिर जाने के कारण पुनः अंकुरित होकर उगने लगा है। तिलहन की फसल को कुछ किसान काट कर घर ले आए थे लेकिन उसे सुखाने का समय ही नहीं मिल रहा है। धूप निकल ही नही रहा है। बल्कि वह पानी में भीग रहा है और सड़ने लगा है। यही हाल इस वर्ष उड़द का भी हुआ है। अब किसान को एक और दूसरी परेशानी भी सताने लगी है वह यह कि बेमौसम अधिक पानी गिरने से खेत सुखा नहीं है, जिससे खेतों में हार्वेस्टर नहीं घुसेगा जिससे बचे खुचे धान की फसल को काटने परिवहन करने और मिजाई का कार्य मजदूरों से ही कराना पड़ेगा। आजकल सभी संपन्न होते जा रहे हैं और मजदूरों की संख्या दिन-ब-दिन कम होते जा रही है। खेती का सारा काम मशीन से ही होता है लेकिन इस वर्ष पानी की वजह से वह भी संभव नहीं है।
* प्रेमनगर कालोनी निवासी नित्यानंद ने बताया कि कृषि एक जुआ है यह सूना था लेकिन इतना बड़ा जुआ कभी नहीं सोचा था। उन्होंने कहा कि दस ट्रेक्टर तिल एवं पन्द्रह ट्रेक्टर मक्का तोड़ कर घर तो ले आयें है लेकिन पानी और बदली के कारण सूख नहीं रहा है अगर मौसम एक दो दिन नही खुला तो पूरा बर्बाद हो जाएगा।
* शाहपुर कालोनी निवासी प्रभास मिस्त्री ने बताया कि वह ढाई प्लाट यानि सतरह एकड़ में चौंतीस किलो तिलहन बीज का फसल लगाया था जिसमें लगभग बयानबे हजार खर्च हुआ था। बेमौसम बारिश के कारण बीस किलो भी मिल जाए तो बहुत है।
* इस पर भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश सदस्य टीकाराम पटेल ने कहा है कि सभी किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा शासन द्वारा कराया गया है। उन्होंने मांग किया है कि किसानों के फसल के क्षति का शीघ्र आंकलन कर क्षति पूर्ति राशि का भूगतान किया जावे।