अशोक भगत, जोहार छत्तीसगढ़-लैलूंगा।
विकासखण्ड मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर बसा ग्राम पंचायत पाकरगांव के ग्रामीणा आज भी मूलभूत सुविध को तरह रहा है। इस पंचायत के सरपंच-सचिव ग्रामीणों को मिलने वाली मूलभूत सुविधा पर ऐसा डाका डाला कि ग्रामीण सुविधा पाने के लिए तरस रहे हैं। सरपंच-सचिव ग्रामीणों को पीने के लिए स्वच्छ पानी तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं, जिसके कारण मुहल्लेवासियों को पीने के पानी के लिए हर दिन दो-चार करना पड़ रहा है। ऐसा लगता है कि इस पंचायत में भारत सरकार का स्वच्छ भारत मिशन योजना लागू नहीं है। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधा इस पंचायत के लोगों को नसीब नहीं हो रहा है यह योजना सरपंच-सचिव के लिए बनकर रहा गये हैं।
कागज में ही बना दिया ग्राम पंचायत को ओडीएफ
भारत सरकार का महत्वपूर्ण योजना स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत ग्राम पंचायत पाकरगांव को भी लाखों रूपये उपलब्ध करवाया गया हैं। ताकि ग्राम पंचायत में निवास करने वाले ग्रामीणों को ग्राम पंचायत की ओर सभी घरों में शौचालय निर्माण करवा दिया जाये। सरकार का उदेश्य है कि गांव के कोई भी खुले में शौच न जाये लेकिन सरपंच-सचिव इस योजना को अपनी कमाई का जरिया बनाते हुए शौचालय निर्माण में खुब घोटाला किया है। इस पंचायत में 60 प्रतिशत् ग्रामीणों के घर में शौचालय निर्माण सरपंच-सचिव द्वारा नहीं किया गया इसके बाद भी ग्राम पंचायत पाकरगांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है।
अधिकरी क्यों नहीं करते निर्माण कार्य की जांच?
ग्राम पंचायत द्वारा कराये जाने वाली निर्माण कार्य की सही तरिके से जांच नहीं होने के कारण ही आज सरपंच-सचिव के हौसले बुलंद हो गये हैं। जब ग्रामीणों के घर में शौचालय निर्माण हुआ ही नहीं है तो फिर किस नियम के तहत ग्राम पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। जनपद पंचायत के अधिकारी कर्मचारियों निर्माण कार्य किस स्तर का हुआ है या फिर फर्जी तरिके से शासकीय राशि का आहरण तो नहीं किया जा रहा है इसकी जांच करना चाहिए लेकिन विभागीय अधिकारी भी अपना कमीशन लेकर चुप बैंठ जाते हैं। जिसका नतीजा है कि आज पाकरगांव के ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधा नहीं मिल रहा है।
आधा अधूरा शौचालय का कैसे करे उपयोग
जब शौचालय के बारे में ह
मारे टीम ने ग्रामीण महिलाओं से बात किया तो उन्होंने बताये कि सरपंच-सचिव द्वारा माझापारा मुहल्ले में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं करवाया है सरपंच सचिव को बोल-बोलकर थक गये हैं ये लोग हमारे बात सूनते ही नहीं है शौचालय नहीं होने से महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी हो रहे हैं क्योंकि अभी खेतों में फसल लगा दिये हैं जिसके कारण बाहर भी शौच करने नहीं बनता है।
शौचालय का ये हाल देख शर्म भी नहीं आता जनप्रतिनिधियों को
कुछ ग्रामीणों के घर में शौचालय तो देखने मिला जिसकी हालत ऐसे हैं कि देखकर ही शर्म आने लगता है कि ऐसे शौचालय का क्या औचित्य न तो छत, दरवाजा, सेप्टिक टैंक, सीट तक नहीं लगा है। ऐसे शौचालय का उपयोग ग्रामीण कैसे करें। इतना घटिया निर्माण करने वालेे जनप्रतिनिधियों को थोड़ा सा शर्म भी नहीं आया। अब सवाल उठता है कि अधिकरी क्या देखकर ग्राम पंचायत को खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत का दर्ज दे दिया।
सरपंच ने बंद कर दिया मोबाईल
शौचालय का हाल देखकर हमारे द्वारा सचिव को फोन किया गया तो उन्होंने बताये कि आज मैं रागयढ़ में हूं आप सरपंच से बात करें। सरपंच से बात करने पर सरपंच ने लैलूंगा में हूं थोड़ी देर में मिलते है बोलकर फोन बंद कर दिये, जिसके कारण हम सरपंच-सचिव के पक्ष नहीं रख पा रहे हैं।