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जाति सूचक गाली गलौज करने व सरकारी काम काज पर हस्तक्षेप करने वालें को हुई जेल… महिला डॉक्टर के साथ दुव्र्यवहार, जातिसूचक टिप्पणी और धमकी देने वाले पांच अभियुक्तों को दोषी ठहराया

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जोहार छत्तीसगढ़-बेमेतरा।
नवागढ़ के मारो में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मामले में पांच अभियुक्तों को सजा बेमेतरा जिले के नवागढ़ क्षेत्र की नगर पंचायत मारो में वर्ष 2020 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला डॉक्टर प्रीतिमा जांगड़े के साथ दुव्र्यवहार, जातिसूचक टिप्पणी और धमकी देने का बहुचर्चित मामला सामने आया था। इस मामले में कांग्रेस नेता, पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष धीरू उर्फ जितेंद्र तिवारी, मीडियाकर्मी विनय ठाकुर, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी लाला राम साहू, कैलाश गायकवाड़ और पीटर खरे पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। चार साल बाद, जिला सत्र न्यायाधीश बृजेंद्र सिंह शास्त्री ने फैसला सुनाते हुए पांचों अभियुक्तों को दोषी ठहराया। धीरू उर्फ जितेंद्र तिवारी, विनय ठाकुर और लाला राम साहू को भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लील कृत्य), 506 (आपराधिक धमकी), 186/34 (शासकीय कार्य में बाधा/साझा इरादा), साथ ही अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 3(1)(द) और 3(1)(घ) के तहत दोषी ठहराया गया। इन्हें चार वर्ष के सश्रम कारावास और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। वहीं, कैलाश गायकवाड़ और पीटर खरे को आईपीसी की धारा 294 और 186/34 के तहत एक-एक माह का साधारण कारावास और 500 रुपये जुर्माने की सजा दी गई।

 

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अभियुक्तों ने शासकीय कार्य में बाधा डाली, धमकी दी, गोपनीय दस्तावेजों की बिना अनुमति तस्वीरें खींचकर उनका दुरुपयोग किया और दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर शासकीय कार्य में व्यवधान उत्पन्न किया। साथ ही, प्रार्थी के अनुसूचित जाति से होने की जानकारी होने के बावजूद उनका अपमान किया गया। डॉ. प्रीतिमा जांगड़े ने कहा, हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा था। चार साल की कानूनी लड़ाई के बाद यह मेरे स्वाभिमान और संविधान की जीत है।

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