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कार्यवाही के नाम पर अधिकारियों के क्यों फूल रहे हांथ-पांव, अधिकारियों को किसका दबाव कुर्सी चले जाने का भय या फिर कुछ और..

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जोहार छत्तीसगढ़ -बलौदाबाजार।
जिला बलौदाबाजार भाटापारा के बहुमूल्य क्षेत्र में भोले-भाले लोगों के साथ हो रही खिलवाड़ पर बढ़ती हुई पर पूर्ण तरीके से कार्यवाही नहीं होती झोलाछाप डॉक्टर की बढ़ती जनसंख्या वृद्धि होती जा रही है। परंतु प्रशासन मौन धारण कर बैठी हुई है। एक पर कार्यवाही करने से कोई बड़ी बात नहीं है। जिला बलौदाबाजार भाटापारा में हजारों की संख्या में प्रत्येक ग्राम पंचायत में तीन चार झोलाछाप डॉक्टर गांव में बिना डिग्री अपने ठीक से दवाई का फार्मूला लिखना नहीं जानते परंतु आम जनता के ईलाज खुलेआम व्यापार का दुकान चला रहे हैं। फिर भी जिला स्वास्थ विभाग की मिलीभगत से कई वर्षों से संचालित होती है। झोलाछाप डॉक्टर को खुली छूट दे दिया गया है। झोलाछाप डॉक्टर की शिकायत करने पर भी टीम आज उपरांत कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इससे प्रतीत होती है कि स्वास्थ विभाग की मिली भगत हैं। वही कुछ क्लीनिक लैब पर स्वास्थ विभाग द्वारा एक कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपाती हुई नजर आ रही है। अवैधानिक निजी घरों में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा बेखौफ होकर जनताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ जैसा जिन्होंने कृत्य किया जा रहा था। झोलाछाप डॉक्टर की छापामार कार्यवाही में मौजूद रहे टीम द्वारा पर क्लीनिक हेतु वैध दस्तावेजों की कमी पाई गई। जिसमे सम्बंधितो को त्वरित स्पष्टीकरण मांगते हुए। क्लीनिक लैब में स्पष्टीकरण तक संचालन नहीं किये जाने की हिदायत विभाग के अमला द्वारा दिया गया। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सम्बंधितो को हिदायत देते हुए कहा कि, यदि आप पुन: क्लिनिक लैब का संचालन करना चाहते है तो आपको नर्सिंगहोम एक्ट संबंधित संपूर्ण दस्तावेज सबमिट करना पड़ेगा उसके बाद ही आप अस्पताल का संचालन कर सकते है।
जानिए कहां का है मामला
विकासखंड पलारी के सोनारदेवरी ग्राम पंचायत मे साहू मेडिकल और क्लिनिक के नाम से संचालित हो रही है जिसके संचालक गुरुचरण साहू द्वारा किया जा रहा है संचालक गुरुचरण साहू द्वारा अपने अधीन एक और कम्पॉडर रखे है जो उनके निर्देश पर मरीजों को इंजेक्शन बॉटल ड्रेसिंग एवं टाका लगाते है गुरुचरण साहू ने 25 वर्षो से कार्य करना बताया एवं उन्होंने अपने परिचय शिक्षा में बीएमएस अल्टीरनेटिव एवं आयुर्वेद बताया है उनके द्वारा मीडियाकर्मी के सामान्य चर्चा में बड़ी से बड़ी गंभीर बीमारी के इलाज करना बताया है साथ ही साथ बताया कि आज तक किसी भी प्रकार के अनहोनी नहीं होना बताया है वही मरीज के इलाज सस्ते दामों में करना बताया है। वही उनके द्वारा बताया गया कि हमारे पलारी विकासखंड मे 230 डॉक्टर का एक संगठन बताया है जिसका नाम छत्तीसगढ़ सर्वविधा सहायक चिकित्सक संघ है वही संवाददाता ने नर्सिंग होम एक्ट मे पंजीयन कराने की बात कही तो डॉक्टर द्वारा उच्च अधिकारीयों से बात करके एवं संरक्षण देने की बात कही। साथ ही साथ अगर किसी प्रकार का समाचार पत्रों द्वारा इनके खिलाफ में खबर प्रकाशन हो जाता है तो उनके संघठन के बने पदाधिकारियों का फोन आना चालू हो जाता है बात के प्रारम्भ में पदाधिकारीयों द्वारा पदाधिकारी होने का धौस दिखाते हंै उसके बाद जब नर्सिंग होम एवं अन्य कायदे कानून के बारे में पूछा जाता है तो उनके पदाधिकारी होने का भूत उतर जाता है और उनके द्वारा कहा जाता है ठीक है भैया खबर प्रकाशन मत करना की बात कही जाती है उनके एवज मे घुस रूपी चाप पानी ले लो करके मामला खतम करने की बात कही जाती है। उनके बातों में नहीं आने पर मारपीट करने एवं अवैध उगाही धमकी देने की लिखित रूप संघठन की ओर से शिकायत थाना और कलेक्टर के पास करने की भी बात कही जाती है।
बड़ा सवाल
क्या विभाग के मिलीभगत एक स्वतंत्र पत्रकार को खबर नहीं लिखने को मजबूर कर रही है?
क्या विभाग के आला अधिकारी रिश्वतखोरी में इतना डूब गए है एक झोलाछाप डॉ. पर कार्यवाही नहीं कर पा रही है। क्या अधिकारी संघ के दबाव में अपने पद की गरिमा और शक्ति को भूल गयी है। या अधिकारी केवल कुर्सी चले जाने के डर से इन डॉक्टरों पर कार्यवाही नहीं करते है? क्या स्वास्थ्य विभाग के उच्च संरक्षणकारी अधिकारी को अपने विभाग के जिम्मेदारी संभाली नहीं जा रही है। इन सारे सवालों के वास्तविकता स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से बात करने पर सामने आएगी।

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