जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ पुलिस थाना का स्थापना सन् 1929 को हुआ, राज परिवार द्वारा अपने अधिनस्थ भूमि को थाना संचालन हेतु दिया गया था। थाना परिसर की भूमि पर एसडीओपी कार्यालय, थाना भवन एवं आवासीय कॉलोनी बना हुआ है। वर्ष 2012 में थाना परिसर की शासकीय भूमि को धरमजयगढ़ थाना के नाम रिकार्ड दर्ज किया गया है। रिकार्ड में दर्ज करने के लिए तत्कालीन आरआई द्वारा प्रतिवेदन पेश किया गया जिसके बाद शासकीय भूमि को 9 अगस्त 2012 को थाना धरमजयगढ़ के नाम पर रिकार्ड में दर्ज कर लिया गया जिसकी सूचना तहसीलदार धरमजयगढ़ द्वारा पत्र क्रमांक 282/वचक-/2/2012 धरमजयगढ़ दिनांक 9/08/2012 के माध्यम से पत्र में उल्लेख किया गया है कि थाना स्थित भूमि नजूल प्लाट 1384,1385,1386/1, 1376,1377, 1378, 1379, 1380, 1381, 1382, 1383/1, 1386/1 को राजस्व निरीक्षक द्वारा राजस्व भूमि के अभिलेख में थाना धरमजयगढ़ के अधीन किया गया है। पत्र के माध्यम से सूचना तात्कालीन तहसीदार द्वारा थाना प्रभारी धरमजयगढ़ एवं अनुविभागीय अधिकारी (रा.) को दिया गया था। धरमजयगढ़ में अपर सत्र न्यायालय का स्थापना होना है जिसके लिए शासकीय भूमि की आवश्यकता है, आरआई, पटवारी द्वारा अपर सत्र न्यायालय के लिए शासकीय भूमि की खोज किया जा रहा है लेकिन विडंबना देखिए कि आरा आई द्वारा पुलिस थाना की आबंटित भूमि को खाली नजूल बता कर बार-बार सर्वे किया जा रहा है। और थाना परिसर की भूमि को बिना थाना प्रभारी के सहमती के नाप झोक कर अपर सत्र न्यायालय के लिए प्रतिवेदन भेजन देने की जानकारी लगने पर पुलिस विभाग में हड़कम मच गया है क्योकि थाना परिसर में ही एसडीओपी कार्यालय, थाना भवन एवं पुलिस विभाग के कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी है। अब सवाल उठता है कि जब सन् 2012 में ही शासकीय भूमि को थाना के नाम पर रिकार्ड में दर्ज कर लिया गया है तो फिर अब आरआई धरमजयगढ़ द्वारा खाली नजूल कैसे बताया जा रहा है।
राजस्व विभग के अधिकारी-कर्मचारियों के मिली भगत से हुआ बड़े पैमाने पर बेजाकब्जा?
धरमजयगढ़ में भारी मात्रा में शासकीय भूमि था लेकिन धीरे-धरे शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया और अब धरमजयगढ़ में शासकीय भवन बनने लायक शासकीय भूमि नहीं मिल रहा है। जिसका नतीजा है कि थाना परिसर की भूमि को खाली बता कर प्रतिवेदन भेजा जा रहा है। अभी भी धरमजयगढ़ में बेजा कब्जा का खेल चल रहा है शिकायत करने पर भी राजस्व विभाग कार्यवाही नहीं करते हैं। शिकायत को अपने पास रखकर चुप चाप बैंठ जाते हैं। स्थानीय प्रशासन को अब भी बेजा कब्जा करने वालों पर कार्यवाही करते हुए शासकीय भूमि को बचाना चाहिए?