संजीव वर्मा
छत्तीसगढ़ राज्य में इन दिनों प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। पक्ष-विपक्ष दोनों दलों के नेता जमकर एक दूसरे पर गरज-बरस रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है। जब से प्रदेश में सरकार बदली है, तब से यह मुद्दा ज्यादा गरम है। यह लाजमी भी है। आखिर सरकार बदलने में यह मुद्दा भी एक बड़ा कारण रहा है। जब प्रदेश में कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की सरकार थी। तब भाजपा ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना को जानबूझकर लटका, रखा, जबकि कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की राशि नहीं दी। यह मुद्दा इतना तूल पकड़ा कि चुनाव में भाजपा ने इसे जमकर भुनाया और उसे इसका लाभ भी मिला। आज वह सत्ता पर काबिज है। लेकिन सत्ता मिलने के 7 महीने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना का कोई अता-पता नहीं है। एक ईट भी नहीं लगा है। अलबत्ता मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने इस योजना से वंचित 15.18 लाख पात्र परिवारों को अभी तक आवास की स्वीकृति नहीं मिलने की बात कही। इसमें 6.99 लाख परिवार योजना की स्थाई प्रतीक्षा सूची में है और 8.19 लाख परिवार आवास प्लस में शामिल हैं। साय ने यह भी बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान योजना के लिए राज्य का हिस्सा नहीं मिलने के कारण यह समस्या बनी रही है। मुख्यमंत्री साय ने जल्द आवास स्वीकृत करने का आग्रह किया। जिस पर केंद्रीय मंत्री ने तत्काल कार्रवाई किए जाने की बात कही है। वहीं, दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने तंज कसा है। उसने कहा है कि साय सरकार ने 7 महीने के अपने कार्यकाल में एक भी नया आवास स्वीकृत नहीं किया है। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में स्वीकार किया है कि 6 माह में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास के लिए एक रुपए भी नहीं दिया है। बैज ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने 18 लाख आवासों में से एक आवास की भी स्वीकृति नहीं दी। साय सरकार 18 लाख आवास स्वीकृति का झूठा प्रयास कर रही है। बैज ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में जब कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार थी तब केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य के 7 लाख आवासों को रद्द कर दिया था। यह तर्क दिया था कि राज्यांश का पैसा देरी से जमा किया गया था। जबकि राज्य सरकार ने 800 करोड़ रुपए जमा किया था। उस समय राज्य को केंद्र से लगभग 50 हजार करोड़ रुपए विभिन्न मदो में लेना था बावजूद भूपेश बघेल की सरकार ने अपनी तरफ से नए सिरे से मकानों की स्वीकृति दी थी। भूपेश सरकार नेआवास योजना के खाते में पहली किस्त की राशि भी डाल दी थी। बैज ने दावा किया कि 2018 से 2023 तक भूपेश बघेल सरकार ने 10 लाख से अधिक आवास बनाए। शेष लगभग 7 लाख आवास बनाने के लिए बजट में 3234 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया था। जबकि सरकार बदलने के बाद अब तक कोई नया आवास स्वीकृत नहीं हुआ है। बहरहाल, भाजपा-कांग्रेस दोनों तरफ से शब्दों के तीर जोर शोर से चलने लगे हैं और इन सबके बीच लगता है कि आवास की बाट जोह रहे गरीबों की किस्मत में सिर्फ इंतजार ही रह गया है। हमारा मानना है कि आवास जैसी मूलभूत सुविधा को लेकर राजनीति ठीक नहीं है। दोनों दलों को इसे गंभीरता से लेना होगा। खासकर सत्तारूढ़ दल भाजपा की अहम जिम्मेदारी बनती है कि वह इसे प्राथमिकता में ले और बीते दिनों में जो कुछ भी कारण रहा हो उसे दरकिनार कर गरीबों को सर्व सुविधायुक्त आवास उपलब्ध कराने की कार्रवाई में तेजी लाए। मोदी की गारंटी में आवास योजना भी शामिल है। ऐसे में इसे यूं ही हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। वरना ये पब्लिक है साहब सब जानती है।