जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
ताजा मामला धरमजयगढ़ के खाद्य विभाग का है आम लोगों को भरपेट भोजन मुहैया कराने की जिम्मेदारी राज्य से लेकर भारत सरकार ने उठा रखी है किंतु विष्णु सुशासन में कुछ ऐसे निरकुंश अधिकारी है जो खुलेआम शासन-प्रशासन व जन मानस को ही चुनौती दे रहे हैं, नगर में चर्चा व्याप्त है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व लोकहित व प्रशासनिक दृष्टिकोण से 3 साल से एक ही स्थान पर जमे अधिकारी का स्थानांतरण कोंडागांव हो जाता है किंतु लिपिकीय त्रुटि के कारण उनके नाम के आगे पदस्थापना स्थल धरमजयगढ़ के स्थान पर जांजगीर छप जाता है। बस फि र क्या विभागीय अधिकारी के लिए वरदान साबित हो गया, विडम्बना यह कि अधिकारी आज भी अंगद की तरह पांव जमाकर डटा हुआ है। उसमें भी कोढ़ के ऊपर खुजली इस बात की कि कुछ स्थानीय नेताओं को यह बात नागवार गुजरी जिन्होंने खुद स्थानीय जनता के आम सुविधा के लिए कुछ मशविरा दिया किंतु उक्त अधिकारी ने उल्टे नेताओं को सुना दिया कि मैं किसी के बताए अनुसार काम नही करूंगा। ज्यादा है तो मेरे ट्रांसफ र आदेश में संशोधन करा दें, अपने स्थानांतरित जगह पर जाना पसंद करूंगा। विडंबना यह है कि कुछ ऐसे ही निरकुंश अधिकारी ही विष्णु के सुशासन और जीरो टालरेंस की नीति पर पलीता लगा रहे हैं चर्चा तो यह भी है कि अधिकारी ने अपने उच्च अधिकारियों से सेटिंग कर स्थानीय नेताओं के मंशा को ठेंगा दिखाते हुए 40 किमी के भीतर पोस्टिंग कराकर मुंह चिढ़ाने का काम किया है।