Home छत्तीसगढ़ विपक्ष के हर वॉर को हथियार बना लेते हैं PM, अब राहुल...

विपक्ष के हर वॉर को हथियार बना लेते हैं PM, अब राहुल गांधी का हमला बना मोदी की ‘शक्ति’ हम 2013 से राजनीति का यह नया तमाशा तो

513
0

विपक्ष के हर वॉर को हथियार बना लेते हैं PM, अब राहुल गांधी का हमला बना मोदी की ‘शक्ति’

हम 2013 से राजनीति का यह नया तमाशा तो देख ही रहे हैं। विरोधी दलों के हमले को नरेंद्र मोदी अवसर की तरह लपक लेते हैं। साल 2013 में जब वे भाजपा के पोस्टर ब्वाय घोषित किये गये तब तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस ने उन पर कई तरह के हमले किए। मसलन उन्हें चाय वाला बता कर राजनीतिक एलीट ने तुच्छ कहा. इसी को नरेंद्र मोदी ने पकड़ा और गरीबों का अपमान बताया. उस समय राहुल गांधी को वे कांग्रेस का युवराज बताते थे। उनकी बात का यह असर पड़ा कि कांग्रेस का अर्थ गांधी परिवार तक सीमित हो गया. उन्हीं दिनों मणिशंकर अय्यर ने एक ऐसा बयान दिया, जिसने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो अंकों तक समेट दिया।

मणिशंकर अय्यर ने जनवरी 2014 में कांग्रेस के तालकटोरा अधिवेशन में कह दिया कि नरेंद्र मोदी जब चुनाव हार जाएं तो वे हमारे पास आएं, हम उन्हें 24, अकबर रोड में कैंटीन का ठेका दे देंगे। इस बयान का असर दूरगामी पड़ा। आम लोगों को लगा, कि कांग्रेस एक चाय वाले जैसे गरीब आदमी का सम्मान नहीं कर सकती. 2014 में भी नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी और उनकी पार्टी के हर नेता के बयान को पकड़ा, तथा उसे वोट में बदल लिया. नरेंद्र मोदी चूंकि 24*7 राजनीति करते हैं, इसलिए वे और उनकी टीम अपने विरोधियों की हर चाल की काट तो सोच ही लेते हैं। इसके अलावा वे विरोधी पक्ष के भीतर भी उठा-पटक कराते रहते हैं।

कांग्रेस की एलीट पॉलिटिक्स का हिस्सा

2014 में घर-घर मोदी, हर-हर मोदी के नारे ने भाजपा को 272 सीटें दिलाईं। वर्ष 2019 के चुनाव में उन्होंने खुद को देश का चौकीदार बताया तो फ़ौरन कांग्रेस ने चौकीदार चोर है, की हुंकार लगाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौकीदार को चोर बताने वाले बयान को कांग्रेस की एलीट पॉलिटिक्स का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि जो पार्टी 70 साल तक मलाई खाती रही, वह एक गरीब चौकीदार को चोर बता रही है. इसकी वजह है कि कांग्रेस हार से इतनी हताश है, कि उसे ईमानदार लोग चोर लग रहे हैं. इसका नतीजा भी नरेंद्र मोदी के पक्ष में गया और 2019 में भाजपा को लोकसभा की 303 सीटें मिली।

प्रधानमंत्री के हिंदू होने पर संदेह

2024 में दो बयान ऐसे आए, जिन्हें भाजपा और प्रधानमंत्री ले उड़े. एक तो लालू यादव द्वारा प्रधानमंत्री के हिंदू होने पर संदेह जताना. लालू यादव ने कहा कि नरेंद्र मोदी स्वयं को आस्थावान हिंदू कहते हैं. लेकिन हिंदू अपने परिवार में किसी की मृत्यु होने पर सिर के बाल, दाढ़ी और मूंछे मुंडवाते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मां की मृत्यु पर सिर के बाल नहीं मुंडवाए. इस बयान से लालू यादव ने अपनी अज्ञानता को ही प्रकट किया. उत्तर भारत में हिंदू परिवार में किसी की मृत्यु पर सिर मुंडवाते हैं लेकिन देश के हर क्षेत्र में नहीं. देश के हर क्षेत्र में हिंदुओं में ही रीति-रिवाज भिन्न-भिन्न हैं।

यहां तक कि उत्तर भारत में मृतक को जलाये जाने की परंपरा है लेकिन कर्नाटक और उसके नीचे के हिस्से में शव को दफ़नाया जाता है. उत्तर भारत में स्त्रियां, खासकर पति के जीवित रहते सिर नहीं मुंडवातीं जबकि दक्षिण में युवतियां भी तिरुपति के मंदिर में सिर के केश कटवा देती हैं. वहां एक तरह से यह अनिवार्य रस्म है. इसलिए लालू यादव इस बयान से अपने ही पिच में उखड़ गए. मोदी ने परिवार के मामले में उन्हें घेर लिया।

मोदी का परिवार

नरेंद्र मोदी ने देश की 140 करोड़ जनता को अपना परिवार बता दिया. उन्होंने कहा, कि पूरा भारत देश ही उनका परिवार है. जबकि जो पार्टियां और नेता मेरे ऊपर हमला कर रही हैं, उनके लिए परिवार का अर्थ उनके बेटे-बेटियां हैं. इसलिए वे अपनी समझ से कह रहे हैं कि मेरा परिवार तो पूरे देश की जनता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गठबंधन में शामिल नेताओं के बारे में ऐसी टिप्पणी कर उन्हें क्लीन बोल्ड कर दिया. उन्होंने तमिलनाडु की एक जनसभा में कहा, मेरे विरोधियों के लिए उनका अपना परिवार पहले है और मेरे लिए मेरे देश के समस्त निवासी. ज़ाहिर है, लालू यादव की यह टिप्पणी उन्हें ही महंगी पड़ गई।

राजनीति में कुछ भी बोलने के पहले सोचना और भविष्य में इसके क्या मायने निकलेंगे, इसका अंदाज़ा लगा लेना चाहिए. अन्यथा जिस पर हमला हुआ है, वह इसके राजनीतिक फायदे उठा लेगा. प्रधानमंत्री विरोधियों को उनके ही जाल में फंसा लेने में सबसे चतुर हैं. यही कारण है, कि पूरी ताकत के बावजूद इंडिया गठबंधन अपने को मज़बूत विपक्ष नहीं बना पा रहा है।

शक्ति पर संग्राम

राहुल गांधी अबकी बार शक्ति वाले बयान पर फंस गए हैं. उन्होंने अपनी न्याय यात्रा के दौरान मुंबई में कह दिया, कि हिंदू धर्म में एक शब्द है शक्ति. हम इसी शक्ति से लड़ रहे हैं. अब या तो राहुल गांधी शक्ति शब्द का शाब्दिक अर्थ नहीं जानते या उनके भाषण लिखने वाले जान-बूझ कर राहुल को एक गहन अंधकार में अकेला छोड़ देते हैं. यदि शक्ति से उनका तात्पर्य शासक की शक्ति से है तो उन्हें इसमें हिंदू धर्म की बात कहने की क्या ज़रूरत थी? शक्ति पावर का प्रतीक है अर्थात् राजा में निहित शक्तियां. इसमें पुलिस, सेना और दूसरी जांच एजनसियां आती हैं. तो ऐसी ही शक्तियां हर जगह हैं।

चीन, जापान, अमेरिका, रूस, पाकिस्तान आदि सभी देशों के शासनाध्यक्ष के पास यह शक्ति होती है. और इनमें से कोई हिंदू धर्म के अनुयायी नहीं हैं. शक्ति एक शब्द है जिसका अर्थ ताक़त से है. मगर राहुल गांधी ने हिंदू शब्द का उल्लेख कर पूरी कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर ली हैं. उनके इस बयान से भाजपा वाले कहेंगे ही कि राहुल गांधी हिंदू तथा सनातन विरोधी हैं और DMK को वही सनातन परंपराओं के विरोध में उकसा रहे हैं।

देश विरोधी बयान

भाजपा के लिए चारा खुद कांग्रेस परोस रही है. इससे बढ़िया बात किसी सत्तारूढ़ दल के लिए भला क्या होगी. जब खुद मुख्य विपक्षी दल उसके लिए अपने वोटों की फसल काट लेने का न्योता दे रहा हो. आज भाजपा आरोप लगा रही है, कि कांग्रेस अपने इंडिया गठबंधन के घटक दलों को देश विरोधी बयान देने के लिए कह रही है. अभी कुछ दिनों पहले डीएमके के ए. राजा ने भारत को एक राष्ट्र नहीं बताया।

उन्होंने कहा था कि भारत विभिन्न राष्ट्रीयताओं का समूह है. उन्होंने तमिल राष्ट्रीयता को मलयालम या कन्नड़ अथवा तेलुगू राष्ट्रीयता से अलग बताया. उन्होंने ऐसा शायद हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा के बढ़ रहे जनाधार पर हमला करते हुए कहा हो. वे शायद कहना चाहते थे कि हिंदी भाषी क्षेत्रों की परंपरा ही पूरे देश की अस्मिता या पहचान नहीं है. पर राजनेता जब बोलने के पहले सोचेंगे नहीं तो वे देश तोड़ने की बात करने लगेंगे।

हिंदू विरोधी रुख

मध्य काल के कवि रहीम ने लिखा है, रहिमन जिव्हा बावरी कर गई सरग-पताल. आपुहिं तो भीतर गई जूती खाय कपाल. रहीम के इस दोहे का अर्थ है, कि जीभ पर लगाम न हो तो वह मनुष्य के सिर पर जूतियाँ पड़वाती है क्योंकि जीभ तो बोल कर मुंह के अंदर चली जाती है. दरअसल कांग्रेस में राहुल गांधी के साथ समस्या यह है कि उनके आसपास दो तरह के सलाहकार हैं. एक जो उन्हें अल्पसंख्यक वोटों को समेटने के लिए बहुसंख्यक हिंदू विरोधी बयानों के लिए उकसाते हैं. दूसरे वे लोग जो उन्हें आज चल रही हिंदूवाद की हवा के अनुकूल चलने की सलाह देते हैं. नतीजा यह होता है कि राहुल गांधी अपनी यात्राओं के दौरान कभी-कभी तो चंदन टीका लगा कर मंदिर-मंदिर चक्कर काटते हैं और अपने को ब्राह्मण बताते हैं. कभी-कभी वे एकदम से हिंदू विरोधी रुख अख़्तयार कर लेते हैं।

जातीय जनगणना की बात

लोकतंत्र में पब्लिक को अपने साथ लाने के लिए राजनीतिक दलों और राजनेताओं को कई तरह के टोटके करने पड़ते हैं. ये टोटके मुफ़्त में रेवड़ियां बांटने से ले कर देश के मध्य वर्ग से किए गए कुछ ठोस वायदे होते हैं. राष्ट्रवाद, देश की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ करने आदि लुभावनी बातें करनी पड़ती हैं. लेकिन आज के राजनीतिक माहौल में परिदृश्य बदला है. धर्म, जाति के खेल के दुश्चक्र में हर राजनीतिक दल फंसा है. भाजपा ने धर्म का रास्ता पकड़ा तो कांग्रेस ने पिछड़ी और दलित जातियों को आगे कर जातीय जनगणना की बात की.

कांग्रेस जाति की संख्या के आधार पर उन्हें अवसर देने की मांग करने लगी. लेकिन यह दांव भी कांग्रेस को ही उलटा पड़ रहा है. भले ही कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दलित समुदाय से हों किंतु किसे नहीं पता शक्ति कहां निहित है. इसलिए भाजपा को अवसर खुद राहुल गांधी उपलब्ध कराते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here