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कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल करती भाजपा

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संजीव वर्मा

लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस से मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ली है। कांग्रेस में अभी हलचल ही दिखाई दे रही है और भाजपा ने मैदान में योद्धा उतारकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। दरअसल भाजपा ने विधानसभा चुनाव की तर्ज पर प्रत्याशियों का ऐलान कर उन्हें चुनाव प्रचार सहित अन्य तैयारियों के लिए पर्याप्त समय दे दिया है, ताकि जीत के लिए कोई कोर कसर बाकी न रह जाए। जहां तक प्रत्याशियों का सवाल है तो उसने अपने 9 वर्तमान सांसदों में से 7 के टिकट काट दिए। सिर्फ दुर्ग से विजय बघेल और राजनांदगांव से संतोष पांडेय पर भरोसा जताया है। वैसे यह उम्मीद के मुताबिक है। पहले से ही कहा जा रहा था कि कई सांसदों के टिकट काटे जाएंगे। भाजपा में ऐसा होता भी रहा है, लेकिन 3 नाम चौंकाने वाले हैं। इनमें सबसे पहला नाम प्रदेश के कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का है, जिन्हें रायपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया है। बृजमोहन को चुनावी रण में माहिर माना जाता है। वे लगातार 8 बार के विधायक हैं और पिछला विधानसभा चुनाव रिकॉर्ड 67 हजार मतों से जीते हैं। बृजमोहन को प्रत्याशी बनाए जाने पर राजनीतिक गलियारे में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने सुनने को मिल रही है। कोई इसे भाजपा की जीत की गारंटी के रूप में देख रहा है, तो कोई इसे बृजमोहन के राज्य से बाहर भेजने की रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं। खैर, जो भी हो लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने बृजमोहन पर बड़ा दांव खेला है। दूसरा चौंकाने वाला नाम कोरबा से प्रत्याशी सरोज पांडेय का है। सरोज पांडेय दुर्ग की रहने वाली है और वहां से सांसद भी रही हैं। लेकिन उन्हें अचानक कोरबा से प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने राजनीतिक पंडितों को आश्चर्य में डाल दिया है। वैसे सरोज पांडेय का कोरबा से लगातार संपर्क रहा है। कोरबा से वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत की क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। महंत नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी है। कांग्रेस उन्हें फिर से अपना प्रत्याशी बना सकती है। ऐसे में इस सीट पर लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है। वहीं, तीसरा चौंकाने वाला नाम चिंतामणी महाराज का है। पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज चिंतामणी महाराज ने कांग्रेस से इस्तीफ ा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा को इसका फायदा भी मिला और इसी के पुरस्कार स्वरूप उन्हें सरगुजा से प्रत्याशी बनाया गया है। वैसे चिंतामणी महाराज की सरगुजा में अच्छी-खासी पकड़ है। संत गहिरा गुरू के पुत्र होने के कारण आम जनता का उनसे लगाव है। अन्य सीटों पर भी भाजपा ने जातीय और क्षेत्रीय संतुलन के साथ प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। वह सभी 11 सीटों पर जीत का दावा भी कर रही है। उसे मोदी की गारंटी, किसानों से 3100 रूपये में धान खरीदी, महतारी वंदन योजना और रामलला दर्शन योजना पर पूरा भरोसा है। वहीं, कांग्रेस विधानसभा चुनाव की हार से उबरकर लोकसभा चुनाव में नहले पर दहला मारने की तैयारी में है। भले ही अभी तक प्रत्याशी चयन नहीं किया है, लेकिन उसे उम्मीद है कि इस बार चौंकाने वाले नतीजे सामने आएंगे। उसे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की श्श्भारत जोड़ो न्याय यात्रा से बहुत उम्मीदें हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि राहुल गांधी की यात्रा का प्रभाव छत्तीसगढ़ के लोकसभा चुनाव में भी पड़ेगा। उनका यह भी मानना है कि इस यात्रा से पार्टी के कार्यकर्ताओं को एक नई ऊर्जा मिली है और यह ऊर्जा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने का काम करेगी। फिलहाल कांग्रेस में 11 लोकसभा सीटों पर कौन से चेहरे होंगे। इसका सभी को इंतजार है। पार्टी में हलचल तेज हो गई है। दावेदारों की सूची भी बन चुकी है। वैसे भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस को मौका दे दिया है कि वह प्रत्याशी चयन में अपने प्रतिद्वंदी को भी तौल लें। यह भाजपा का आत्मविश्वास है या अति आत्मविश्वास, यह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन उसने पहली बाजी जीत लेने का दावा जरूर कर सकती है।

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