जोहार छत्तीसगढ़ धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ में हर दिन कही ना कही से बेजाकब्जा कि खबरे आती रही है कुछ खबरे नगरों कि होती है तो कुछ खबरे गांवों कि पर इस बार ऐसी जगह जमीन कब्जा करने का प्रयास हो रहा जहा किसी को कानो कान खबर नहीं होगी? ऐसे जगहों पर हाथी के डर से लोगों का आना जाना बहुत कम हो जाता है जिसपर ना तो किसी वनरक्षक का ध्यान पड़ता है ना ही किसी अधिकारी का आपको बता दें कि प्रेमनगर से कोंधा जाते वक्त कच्ची सड़क जो जंगलों के बीच से होकर जाती है वही पर वन विभाग द्वारा एक डैम का निर्माण किया गया है उसी से लगभग 100-200 मीटर कि दूरी पर कई एकड़ जमीन पर कब्जा करने का प्रयास भू-माफियाओं द्वारा किया जा रहा है, हैरानी कि बात तो यह है कि यह अति संवेदनशील हाथी प्रभावित इलाका है जिसमें वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा लगातार गस्त किया जाता है परन्तु सोचने वाली बात यह ही कि डैम के पास कई जगहों पर जमीन कब्जा करने के लिए पेड़ों को काट दिया गया है। जिस पर वन विभाग के कर्मचारियों का ध्यान नहीं गया।
एक जगह पर जेसीबी कि सहायता से पेड़ों को काटने के बाद जमीन को बराबर तक कर दिया गया है और बाकी के 2 जगहों पर पेड़ों को काटकर छोड़ दिया गया है ताकि बाद में जेसीबी मशीन कीसहायता से जमीन को बराबर कर कब्जा करने में आसानी होगी। यह खेल लम्बे समय से चल रहा जिसमें अनगिनत बेसकीमती पेड़ों को काट दिया गया है। सोचने वाली बात यह है कि धरमजयगढ़ मंडल से कार्यलय से कुछ ही किलोमीटर क दूरी पर विभाग के आंखों में धुल झोककर जंगल काटकर कब्जाने का खेल चल रहा।
अब सवाल उठता है कि क्या वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के मिलीभगत के बिना ऐसा कर पान संभव है क्या? ऐसा लगता है कि वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की इसकी पूरी खबर होने के बाद भी वन विभाग इन भू-माफियाओं पर कोई कार्यवाही नहीं करती है, जिसका नतीजा है कि धरमजयगढ़ वन मंडल में अब जंगल साफ होता जा रहा है।