रायपुर- छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां धान की बंपर पैदावार होती है। इस साल भी अच्छी पैदावार हुई है, लिहाजा किसान खुश हैं। उनकी उपज का वास्तविक मूल्य देने के लिए सरकार समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी करती है। इस साल मोदी की गारंटी के तहत राज्य की भाजपा सरकार ने 3100 प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का वायदा किया है। वादे के तहत राज्य में धान की खरीदी की जा रही है। अब तक करीब 125 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है, जो एक रिकॉर्ड है। पिछले साल 107.53 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। धान खरीदी का यह अभियान 31 जनवरी तक चलेगा। यानी किसानों के पास धान बेचने के लिए अब मात्र एक सप्ताह का समय ही रह गया है। चालू खरीफ विपणन वर्ष में 130 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। ऐसी स्थिति में निर्धारित समय में सभी किसानों से धान की खरीदी का कार्य पूरा हो पाना मुश्किल है। हालांकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जरूरत पडऩे पर धान खरीदी का समय बढ़ाए जाने के संकेत दिए हैं। लेकिन किसानों में इसे लेकर चिंता देखी जा रही है। इस साल धान बेचने के लिए प्रदेश के 26.86 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है। इसमें कुल पंजीकृत रकबा 33.15 लाख हेक्टेयर है। पिछली बार धान बेचने के लिए 24.98 लाख किसानों ने पंजीयन कराया था। यानी इस साल किसानों की संख्या बढ़ी है, जो यह दर्शाता है कि खेती किसानी के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर लक्षित 130 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी के लिए 28 हजार करोड़ की व्यवस्था कर ली है। लेकिन भाजपा के चुनावी संकल्प पत्र मोदी की गारंटी में किए गए वायदे के अनुरूप समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को प्रति क्विंटल 3100 रुपए का भुगतान किए जाने का वायदा राज्य सरकार को पूरा करना है। किसानों को अंतर की राशि का भुगतान एक मुश्त दिए जाने की बात कही गई है। ऐसे में किसानों को इस राशि का बेसब्री से इंतजार है। कांग्रेस इस पर नजर गड़ाई हुई है। वह बीच-बीच में सरकार को याद दिलाती रहती है कि श्मोदी की गारंटी कब पूरी होगी। वैसे सरकार को बने करीब डेढ़ महीने हो चुके हैं। इस दौरान दो-तीन केबिनेट की बैठकें भी हो चुकी है। लेकिन अंतर की राशि के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। यह राशि कब जारी होगीघ् कैसी मिलेगी। यह अभी भी साफ नहीं है। हालांकि मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि किसानों को 3100 रुपए की दर से ही भुगतान किया जाएगा। लेकिन इसमें हो रही देरी को लेकर कांग्रेस बार-बार सवाल खड़े कर रही है। साथ ही धान की रिकॉर्ड खरीदी को लेकर भी कांग्रेस-भाजपा में श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। भाजपा इसे मोदी की गारंटी के चलते किसानों में उत्साह मान रही है, तो कांग्रेस का कहना है कि बंपर धान की खरीदी का श्रेय पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार को जाता है, जिसने किसानों से किए गए वादों को पूरा किया और आज राज्य में किसानों का रूझान खेती-किसानी की ओर बढ़ा है। कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने बीते 1 नवंबर से 27 लाख से अधिक किसानों से 2800 प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 20 क्विंटल के हिसाब से 135 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी करने का लक्ष्य तय किया था और आचार संहिता लागू होने के पहले ही किसानों को भुगतान के लिए राशि, बारदाना, ट्रॉसपोर्टिंग और किसानों को टोकन देने की व्यवस्था कर ली थी। जिसका परिणाम है कि आज रिकॉर्ड धान खरीदी हुई है। उन्होंने कहा है कि चालू खरीफ सीजन में धान खरीदी में वर्तमान सरकार का कोई योगदान नहीं है। पूर्व की भूपेश बघेल सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं के चलते धान खरीदी हो रही हैं। उन्होंने सरकार से धान खरीदी की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की है। निश्चित रूप से धान खरीदी की सुगम व्यवस्था पूर्ववर्ती सरकार के समय ही कर ली गई थी, इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है। लेकिन अब राज्य की भाजपा सरकार की जिम्मेदारी है कि किसानों को धान बेचने में कोई असुविधा न हो साथ ही उन्हें उनकी उपज का सही मूल्य सही समय में मिले। बहरहाल, किसानों को 3100 की दर से उसके अंतर की राशि का इंतजार है। अब यह देखना होगा कि श्मोदी की यह गारंटी कब और कैसे पूरी होगी।