जोहार छत्तीसगढ़-रायगढ़।
रायगढ़ जिले में विभिन्न कारपोरेट घरानों द्वारा सरकारी नियमों को ताक पर रखते हुए स्थानीय प्रशासन को खुलेआम चुनौती दी जा रही है। इसके साथ ही उनके द्वारा प्रभावित ग्रामीणों के हितों को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसे में प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। रायगढ़ तहसील क्षेत्र के शिवपुरी में एनआर आयरन एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा परियोजना विस्तार के लिए सैकड़ों एकड़ सरकारी भूमि के आबंटन की मांग की गई है। बता दें कि प्रभावित जमीन पर करीब 200 पेड़ों को काटने की अनुमति कंपनी द्वारा मांगी गई थी लेकिन वन विभाग के अनुसार वहां 50 हजार से अधिक पेड़ पाए गए।
ऐसे में पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मद्देनजर पेड़ कटाई का आवेदन खारिज करते हुए अनुमति देने से इंकार कर दिया गया। शिवपुरी के ग्रामीणों ने बताया कि इस आदेश के बावजूद प्रभावित क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई शुरू हो गई है। जंगल के पेड़ों को जड़ से उखाड़ कर वहीं दफन कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि एनआर कंपनी के लोगों ने जेसीबी मशीन से पेड़ों को उखाड़ कर वहीं मिट्टी से पाट दिया है। शिवपुरी क्षेत्र के बीडीसी ने बताया कि उनके कब्जे की जमीन पर लगे पेड़ों को भी काट दिया गया है और उन्हें किसी भी प्रकार का मुआवजा राशि नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि कंपनी के गुर्गों के डर से गांव के लोग आवाज नहीं उठाते हैं।
इस प्रोजेक्ट के बारे में गांव के उपसरपंच ने जो बताया वह हैरान करने वाला है। उपसरपंच ने कहा कि इस विस्तार परियोजना के लिए ग्राम सभा की अनुमति दिये जाने के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि पेड़ों की कटाई के संबंध में भी ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्राप्त करने की कोई प्रक्रिया नहीं हुई है। इस पूरे मामले को लेकर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश मरकाम ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एनआर कंपनी द्वारा किए जा रहे अवैध गतिविधियों को लेकर जल्द ही बड़ा आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रभावित किसानों के हितों के लिए हर स्तर पर ग्रामीणों के साथ खड़े हैं और यदि प्रशासन उनकी बात नहीं सुनता है तो न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत किसानों को न्याय दिलाया जाएगा।