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वन अधिकार पट्टा समर्पण विधायक ने किया, लेकिन शासन निरस्त करेगी इस बात को लेकर संदेह

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जोहार छत्तीसगढ़-पालीडीह।
पत्थलगांव विधायक रामपुकार सिंह ने विवादित वन अधिकार पट्टा को शासन को समर्पण जरुर कर दिया गया। लेकिन इस पट्टे के निरस्ती को लेकर प्रशासन अभी तक कोई कार्रवाई करती नजर नहीं आ रही है और न ही इसकी जांच की शिकायत पर कोई कार्रवाई करती नजर आ रही है। अंदेशा जताया जा रहा है की सत्ता पक्ष के सबसे वरिष्ठ विधायक एव ब्लाक कांग्रेस के बड़े नेता का नाम सामने आने की वजह से इस मामले की फाईल को छूने भर से अधिकारियों के हाथ कांप रहे हैंं। अब देखना होगा की जिस तरह विधायक ने पहल करते हुए पट्टा समर्पण किया है प्रसाशन पट्टा निरस्त करता है की नहीं पत्थलगांव क्षेत्र में वन अधिकार पट्टा को जिस जंगल की जमीन को रेवड़ी की तरह मिलीभगत कर पट्टा वितरण किए जाने का मामला सामने आ रहा है वैसे में यदि यहां जारी हुए वनअधिकार पट्टों की जांच कराया जाए तो अधिकांश वन अधिकार पट्टा निरस्त हो जाएंगे। इस फ र्जीवाड़ेे में सबसे बड़ा खेल पंचायत के जरिए खेला गया है। अगर हम बात करें यहां के पालिडीह पंचायत की तो वहा स्थानीय विधायक रामपुकार को बगैर कब्जे के ही वन अधिकार पट्टा दिए जाने एंव एक कृषक को वनअधिकार पट्टा के लिए अपात्र करने के बाद पंचायत में ही कुटरचना कर उसे पात्र कर दिए जाने के मामले मे पालीडीह के वरिष्ठ नागरिकों मे जमकर आक्रोश देखा जा रहा है। बुधवार को दो दर्जन ग्रामीणों ने पत्थलगांव तहसील कार्यालय पहुंचकर बरसों से वन भूमि में काबिज रहने के बावजुद पंचायत द्वारा उन्हेंं वन अधिकार पट्टे से वंचित रखते हुए पंचायत के सरपंच भास्कर सिदार,उपसरपंच भुपेंन्द्र यादव,सचिव धरमपाल राठिया और पटवारी मदन भगत ने बगैर कब्जे वाले प्रभावशाली लोगों को वन अधिकार पट्टा हेतु वैध व पात्र कर दिया गया है। ग्रामीणों का कहना था कि पंचायत प्रतिनिधियों एवं पटवारी ने एक बार भी उन्हे वन अधिकार पट्टा के संबंध में जानकारी नहीं दी और न ही पंचायत में इसके संबध मे किसी को पात्र अपात्र किए जाने के संबंध में कोई कार्रवाई हो रही है इसकी जानकारी दी गई जिससे उन्हे ंइस खेल का भनक तक नहीं लग सका। जब उन्हें पता चला कि पंचायत में जहां वे पूर्वजो से काबिज है उस जमीन को किसी अन्य प्रभावषाली को जो कभी उक्त भुमि मे काबिज भी नही रहे उन्हे वन अधिकार पटटा दे दिया गया। ऐसे मे उनके पास पुर्वजों से खेती करते आ रहे वनभुमि को छोडऩे के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा, पंचायत के जिम्मेदार सरपंच भास्कर सिदार,उपसरपंच भुपेंन्द्र यादव,सचिव धरमपाल राठिया और पटवारी मदन भगत ने उनके साथ छलावा कर उन्हें अपनी बरसों की काबिज वनभूमि से बेदखल कराने की योजना ने ग्रामीणों को सदमे में ला दिया है। यही वजह है की ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष के साथ-साथ इस खेल में बड़े-बड़े नेता अपनी सहभागिता निभाते हुए पंचायत प्रतिनिधियों पर दवाब बनाकर वन अधिकार पट्टा अपने नाम जारी करवा दिया गया है।
पत्थलगांव क्षेत्र के समस्त वनअधिकार पट्टा की जांच हो तो बड़ा खेल हो सकता है उजागर
विदीत हो कि पत्थलगांव क्षेत्र में अभी तक जितने भी वन अधिकार पट्टे जारी किए गए हंै उसमे पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका काफ ी संदेहास्पद दिख रही है। जिस वन भूमि का वन अधिकार पट्टा जारी किया गया है उक्त अधिकांश वन भूमि में कुछ वर्ष पहले वन विभाग के द्वारा वृक्षारोपण व अन्य प्लांटेशन भी लगवाया गया है। इसके अलावा उक्त वन भूमि में समय-समय पर लाखों रुपए खर्च कर शासकीय राशि आहरण करते हुए वन विभाग द्वारा अनेक कार्य भी कराया गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है जब लगातार कई वर्षों से वन विभाग के अधिकारियों ने जिस वन भूमि पर लाखों रुपये खर्च कर जंगल को बचाने एवं उनके संरक्षण के लिए काम किया है। उक्त वन भूमि का पट्टा ग्रामीणों को कैसे वितरण हो गया या यह एक बड़ा सवाल है।
नियम के तहत नहीं मिला वन अधिकार पट्टा
नियम है कि वन अधिकार पट्टा केवल उन लोगों को ही दिया जाना है जिनका निवास 2005 से पहले कम से कम तीन पीढिय़ों तक रहा है। क्षेत्र में अधिकांश वनअधिकार पट्टा ऐसे लोगों को दिया गया है जो पत्थलगांव में तीन पीढी तो क्या एक पीढी भी से भी नहीं है। और नहीं उक्त वनभूमि से अपनी आजिविका चला रहे हैं नियमानुसार जिस वनभूमि में उनका कब्जा है उसी वनभूमि से कब्जेधारी का जीविकोर्पाजन होना चाहिए।

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