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क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को छल रही धनवादा कंपनी! …40 को रोजगार देने का दावा कर सिर्फ 2 लोगों को दिया काम

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
एक तरफ प्रदेश सरकार बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता देकर उनके उत्थान का दावा कर रही है और दूसरी ओर क्षेत्र में स्थापित हो रहे और हो चुके उद्योग समूह युवाओं को रोजगार मुहैया कराने का खोखला दावा कर लगातार उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। इलाके में कई ऐसे सरकारी व प्राइवेट उद्योग हैं जिन्होंने स्थानीय लोगों को रोजगार के सपने दिखाकर अपने पैर जमा लिए और बाद में रोजगार के नाम पर स्थानीय युवाओं को ठेंगा दिखा दिया। धरमजयगढ़ इलाके के भालूपखना गांव में प्रस्तावित एक लघु जल विद्युत परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए अधिकृत धनवादा पावर एन्ड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भी युवाओं को रोजगार देने के अपने दावे के विपरीत काम करते हुए नियम कानून की धज्जियां उड़ा रही है। वहीं, गांव और प्रशासन के मुखिया कंपनी के इस रवैये को मौन स्वीकृति देते नजर आ रहे हैं। दूसरे राज्य की यह कंपनी भालूपखना गांव में मांड नदी के किनारे अपना प्रोजेक्ट लगा रही है। जिसके लिए हो रहे निर्माण कार्य में गांव के सिर्फ 2 लोगों को काम में लिया गया है और इस काम में लगे बाकी के सभी अन्य राज्यों के हैं। जानकारी के मुताबिक 7.5 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली इस लघु जल विद्युत परियोजना के प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कंपनी की ओर से करीब 40 स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का दावा किया गया है। लेकिन अब तक कंपनी ने गांव के सिर्फ 2 युवकों को काम पर रखा है। भालूपखना गांव के मुखिया परिवार से ताल्लुक रखने वाले गुलाब यादव ने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि धनवादा कंपनी द्वारा गांव के सिर्फ 2 लड़कों को काम दिया गया है। गुलाब ने बताया कि पहले वे भी कंपनी के इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे। फि लहाल गुलाब वहां काम नहीं कर रहे हैं लेकिन उनके घर के कुछ हिस्से को कंपनी ने किराए पर लिया है। गुलाब ने बताया कि नहर निर्माण के दौरान उनकी एक जमीन पर मिट्टी डाल दिया गया, जिसके हर्जाने के रुप में उन्हें 5 हजार रुपए हर महीने मिलते हैं। इस मामले पर हमने गांव के सरपंच से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फ ोन रिसीव नहीं किया। इसके पहले भी इस परियोजना में गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति के खेत पर जबरन रास्ता बनाने के मामले में सरपंच पति और पूर्व उपसरपंच ने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था। इस तरह पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों व युवाओं के अधिकारों का खुलेआम हनन किया जा रहा है और उनके संरक्षण के लिए नियुक्त जिम्मेदारों की आवाज स्वार्थ व एहसान के बोझ तले सिर्फ दबी नहीं बल्कि शायद कुचली जा चुकी है

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