जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़। रायगढ़ जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड धरमजयगढ़ इन दिनों भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है, और भ्रष्टाचारियों पर प्रशासन किसी प्रकार का अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। जिसका नतीजा है कि विकास खण्ड मुख्यालय में खुलकर भ्रष्टाचार को अंजाम देने में सफल हो रहे हैं।
जूता चप्पल देकर मलका लेना चहता है गरीबों की खुंटी जमीन?
नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 13 में मलका नाम का एक कम्पनी द्वारा 8 मेगावाट का जल विद्युत परियोजना का काम शुरू किया गया है। कंपनी के कर्मचारियों द्वारा दमास गांव में ग्रामीणों को लुभाने के लिए जूता चप्पल बांटा जा रहा है, ताकि ग्रामीणों की नीजि जमीन को आसानी से बिना भू-अर्जन किए ले सकें। मलका कंपनी द्वारा खुलकर शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। कई किसानों की जमीन इस परियोजना में जा रही है, मलका कंपनी द्वारा किसानों की जमीन पर बिना भू-अर्जन किए ही काम शुरू कर दी है। कंपनी द्वारा क्षेत्रवासियों को गुमराह करने के लिए मीडिया में गलत जानकारी देते हुए समाचार प्रकाशित करवाया जा रहा है कि नीजि भूमि परियोजना में नहीं आ रहा है। जबकि इनके सर्वे रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि 5 किसानों की कुल 0.736 हेक्टर भूमि प्रभावित हो रही है। जब निजी भूमि इस परियोजना में आ रही है तो फिर कंपनी द्वारा भू-अर्जन की प्रक्रिया बिना किये ही निर्माण कार्य शुरू कैसे कर दिया है? जबकि शासन का नियम है कि अगर किसी परियोजना में निजी भूमि आता है तो उसके लिए भू-अर्जन प्रक्रिया पूरी करना होता है लेकिन मलका कंपनी द्वारा धरमजयगढ़ में शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए काम शूरू कर दिया गया है। लेकिन इनके द्वारा किया जा रहा नियम विरूद्ध कार्य को रोकने या कार्यवाही करने ऐसा लगता है कि स्थानीय प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है?
सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हल्की सी बारिश में ही उखड़ गई पूरी की पूरी सड़क
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकास खंड के सभी सड़कों का हाल बुरा है, सड़क पर चलना यानि अपनी जान जोखिम में डालना ऐसा हो गया है। मुख्यमंत्री की धरमजयगढ़ प्रवास के दौरान रोड सो में जमकर नारा लगा था कका रास्ता ल कब बनाबे, इसके बाद मुख्यमंत्री ने सड़क निर्माण विभाग पर कार्यवाही करते हुए चुनाव से पहले किसी भी हालात में रायगढ़ जिले की सड़क सुधारने का फरमान जारी कर दिया था लेकिन मुख्यमंत्री का फरमान भी धरमजयगढ़ के लोक निर्माण विभाग के अधिकारी पर कोई असर नहीं दिखा। ठेकेदार द्वारा बिना बेस बनाए ही जल्दबाजी करते हुए सड़क तो बना दिया था लेकिन हल्की सी बारिश में लोक निर्माण विभाग की भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी है। ठेेकेदार द्वारा निर्माण कराए गये खरसिया सड़क को देखने से ऐसा लगता है कि सड़क तो बना ही नहीं है। ये सब क्षेत्रवासियों को तो दिखता है लेकिन स्थानीय लोक निर्माण विभाग को दिखाई नहीं देता है।
जनपद पंचायत भगवान भरोसे, भ्रष्टाचार की नीव पर शुरू होता है निर्माण
118 ग्राम पंचातय का जनपद पंचायत अपने आप में भ्रष्टाचार का एक जीता जागता उदाहरण है। शासन के नियम अनुसार ग्राम पंचायत ठेका प्रथा नहीं चलती है, लेकिन कहने के लिए ही निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत होता है, पुरा का पुरा काम ठेका प्रथा से होता है, जनपद पंचायत ऑफिस से ही ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव को साफ शब्दों में फरमान जारी कर दिया जाता है कि फलाना काम फलाना ठेकेदार करेगा। इसमें किसी प्रकार की कोई नेतागिरी नहीं होना है। ठेकेदार भी ग्राम पंचायत में जाकर बोलते हैं कि रायपुर में 10-15 प्रतिशत देकर काम लाया हूं, काम तो मेरे हिसाब से ही होगा। और होता भी भ्रष्ट ठेकेदार के सिस्टम से, जिसका नतीजा है कि निर्माण पूरा होने से पहले ही निर्माण अपना अस्तित्व खो देता है। जिसका जीता जागता उदाहण है जबगा और जमरगी डी के बीच एक नदी पड़ता है उस नदी पर पुल नहीं होने से बरसात के दिनों गांव वालों को आने जाने में भारी परेशानी होती है। ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए विधायक राठिया ने जबगा और जमरगी-डी पंचायत को 20-20 लाख रूपये पुलिया निर्माण के लिए दिया था। विधायक का दिया गया 40 लाख रूपये पर भी भ्रष्ट ठेेकेदारों की नजर पड़ गई और पंचायत नाम के लिए कार्य एजेंसी बन गया, और काम किया ठेकेदार, ठेकेदार ने बहुत ही घटिया निर्माण किया ग्रामीणों द्वारा इसकी शिकायत भी किया गया था लेकिन भ्रष्टाचार के आगे ग्रामीणों की शिकायत कचरे के ढेर में रख दिया गया जिसका नतीजा है कि पहली बरसात में ही पुलिया के दोनों ओर बने एप्रोच बह गया। जब इस संबंध में ग्राम पंचायत के सचिव से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि विधायक ने ही कहा दिया था कि फलाना ठेकेदार ही काम करेगा। सचिव ने बतया तो हम लोग क्या करते, अब पंचायत की राशि से बह गये एप्रोच को बनाउंगा। अब सवाल उठता है कि इन भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करेगा तो करेगा कौन?