जोहार छत्तीसगढ़ -धरमजयगढ़।
जरूरत के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की पुरानी परंपरा अब भी बरकरार है। ऐसे दोहन किसी विकास कार्य का सीधे या परोक्ष रूप से हिस्सा होते हैं। इसी विकास के नाम पर पहले की सरकार के ऊपर नदी, पर्वत व नालों सहित अन्य प्राकृतिक संपदाओं को लीलने के आरोप लगते रहे हैं। अब छत्तीसगढ़ के कांग्रेस की सरकार है जो प्रदेश के सर्वांगीण विकास का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि रसूखदार ठेकेदारों के आगे सिस्टम अभी भी नतमस्तक है। धरमजयगढ़ क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें क्रशर संचालक के लिए आबंटित क्षेत्र की जद में एक किसान का पीएम आवास आ गया है। क्षेत्र में एसके एलएलपी कंपनी द्वारा पत्थर उत्खनन व क्रशर का संचालन किया जा रहा है। करीब एक करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बनने वाले कापू रोड के लिए सेमीपाली में एक क्रशर उद्योग स्थापित किया गया है। संबंधित संचालक ने जिस जमीन को लीज पर लिया है उससे सटे हुए क्षेत्र में एक अन्य किसान की जमीन है। वहां पर भूमि स्वामी लालसाय के नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक मकान बनाया गया है। अब वह आवास क्रशर व पत्थर खदान क्षेत्र के बीच आ गया है और खदान में होने वाले गतिविधियों के कारण जर्जर हालत में पहुंच गया है। बता दें कि कुछ ही समय पहले प्रधानमंत्री आवास योजना, जो केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है, में वांछित प्रोग्रेस नहीं होने का हवाला देते हुए छत्तीसगढ़ में करीब ८ लाख पीएम आवास के लक्ष्य को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया था। जिसके बाद छत्तीसगढ़ में अलग अलग इलाकों से पीएम आवास योजना के तहत लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों के बारे में खबरें आने लगी। जिसका मुख्य उद्देश्य यह बताना था कि प्रदेश में केंद्र की इस योजना का क्रियान्वयन ठीक तरह से हो रहा है। इन सबके बीच एक पीएम आवास क्रशर उद्योग क्षेत्र की जकड़ में आ जाता है और पंचायत से लेकर स्थानीय प्रशासन के जिम्मेदार गांधी के तीन बंदर की भूमिका निभाते हुए नजर आते हैं। यह पूरा मामला अनैतिक गठजोड़ का एक और बदतर उदाहरण पेश करता है।