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जंगलों की लकड़ियों से धधक रहे अवैध ईंट भट्ठे, वन विभाग की साठगांठ फिर से बढ़ी, राजस्व अमला नहीं लगा पा रही इन पर अंकुश

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जंगलों के बीचों बीच वन भूमि में अवैध तरीके से चल रहा, धलल्ले रूप से ईंट भट्ठे वन विभाग मौन

त्रिपुरी पंचायत के परसा जंगल मे संचालित है, अवैध भट्ठे,, आसपास के इलाकों में बड़ी मात्र में छोटे-बड़े ईंटों का भट्ठा लगाया गया है। क्षेत्र में निजी निर्माण के अलावा व्यापार के रूप में धलल्ले से बनवाया जा रहा है, जिसके लिए खनिज विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है।

जोहार छत्तीसगढ़ – कुसमी ।

क्षेत्र में इन दिनों अवैध ईट भट्ठों का संचालन जोर-शोर चल रहा है। संचालकों द्वारा न तो खनिज नीति का पालन किया जा रहा है और न ही स्थानीय निवासियों की स्वास्थ्य की कोई चिंता। बाहर से मजदूर बुलाकर गुणवत्ताहीन ईंट से मोटी रकम कमा रहे हैं।
नदी किनारे आसपास के इलाकों में बड़ी मात्र में छोटे-बड़े ईंटों का भट्ठा लगाया गया है। क्षेत्र में निजी निर्माण के अलावा शासकीय कार्यों के लिए इसका उपयोग हो रहा है, जिसके लिए खनिज विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है न ही रहती है। नियमानुसार 25 हजार तक ईंट बनाने के लिए तहसीलदार व 50 हजार या इससे अधिक ईंट निर्माण के लिए खनिज विभाग के अनुमति लेना होता है, लेकिन आसपास ग्रामीण अंचलों कई ईट भट्ठे लगाए जा चुके हैं और लगाए भी जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन इन अवैध भट्ठों पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पा रहा है और न ही किसी प्रकार की कोई कार्रवाई कर रहे हैं।
पूर्व में भी कुसमी, कंजिया, गजाधरपुर, में इस तरह के अवैध ईंट भट्टे लगाया गया था, और लग भी रही है, जिसकी जानकारी अनुविभागीय अधिकारी कुसमी को सूचना की थी फिर भी उस पर अंकुश नहीं लगी है। और आज भी इस तरह के अवैध संचालित भट्टा लगा हुआ है, जिस पर तत्कलीन अंकुश विभाग के लोगो को लगाने की जरूरत है।

ग्राम – त्रिपुरी, के परसा जंगल के बीच नदी किनारे ईंट की भट्टी दहक रही है। इसी तरह आसपास के गांवों सभी पंचायतों में नदी किनारे अवैध ईट भट्ठों का खेल चल रहा है। अवैध रूप से संचालकों द्वारा यहां धड़ल्ले से ईंट भट्ठों का कारोबार बड़े पैमाने पर चला रहे हैं। बिना किसी पैमाने के यह कारोबार ग्रामीणों के आड़ में ठेकेदार चलाते हैं, उनकी देखा देखी स्थानीय निवासी भी नियमों की अनदेखी कर निर्माण कराया जा रहा है। यह सिलसिला हर वर्ष देखने को मिलता है। वहीं विभाग की ओर से कसावट नहीं होने के कारण ईट भट्ठों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।

गांव में फैल रही जहरीली हवा


मूलत: इस ईंट को पकाने के लिए उच्च स्तरीय कोयले का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन राशि बचाने के चक्कर में यह अवैध निर्माता ईट को सोयाबीन की अवशेष व लकड़ी से पकाते हैं। इस वजह से इससे उठने वाला धुआं पर्यावरण सहित लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है। इस तरह से कई भट्ठे आबादी क्षेत्र में संचालित किया जा रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य बूरा असर पड़ रहा है।

बिना एनओसी संचालित


क्षेत्र में संचालित ईंट भट्ठा संचालकों ने खनिज विभाग से एनओसी नहीं लिया है। साथ ही पर्यावरण विभाग से भी अनुमति नहीं ली गई है। बावजूद इसके जांच या कार्रवाई नहीं होने से संचालकों की मनमानी बढ़ती जा रही है। इधर भट्ठा संचालक अवैध विद्युत कनेक्शन भी ले रखे हैं। इस तरह अवैध भट्ठा संचालन से सरकार को रायल्टी का नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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