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विकास की कैसी परिभाषा, जहां पढऩे के लिए स्कूल भवन तक नहीं, मंगनी के कच्चे बरामदा में जिंदगी गढ़ रहे बच्चे

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।

राजनीतिक पार्टियों द्वारा विकास की बड़ी-बड़ी बात की जाती है। जब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी तब भाजपा विकास की ढिंग हांकती थी। अब कांग्रेस विकास की गंगा बहाने की बात कर रही है। लेकिन इस सब खोखले दावे को विकासखंड धरमजयगढ़ का शासकीय प्राथमिक शाला बीजापतरा बायसी आईना दिखा रहा है। जहां के बच्चों का भविष्य पेड़ों के नीचे या किसी के परछी में गढ़ा जा रहा है। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र में स्थित इस स्कूल भवन दो चार माह नहीं बल्कि चार पांच साल से जर्जर हो गया है। जहां अध्यापन कार्य नहीं हो रहा है। इस स्कूल में वर्तमान में 55 बच्चे अध्ययनरत हैं। जिन्हें पढ़ाई करने के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। बच्चों की दुर्दशा को देखकर गांव के ही आशाराम राठिया ने अपने कच्ची मकान को अध्यापन कार्य के लिए दिया है। जहां बच्चे अपनी शिक्षा ले रहे हैं। लेकिन इतने वर्षों बाद भी आज तक भवन नहीं बन सका है। कुछ दिन तो छोटे-छोटे परछी में कई जगहों पर बैठा कर बच्चों को पढ़ाया जाता था।
 शहर में सर्वसुविधा युक्त स्वामी आत्मानन्द स्कूल, गांव के स्कूलों में भवन तक नहीं


छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार शिक्षा के प्रति बहुत संवेदनशील है। क्योंकि पूरे प्रदेश में लगभग दो सौ स्थानों पर स्वामी आत्मानन्द शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित हो रही है। जिसमें पूरी तरह नि:शुल्क शिक्षा बच्चों को मिल रही है। गरीब एवं मध्यम वर्ग परिवार के बच्चे जो अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढऩे से वंचित रह जाते थे। जिन्हें अब अंग्रेजी माध्यम स्कूल में नि:शुल्क शिक्षा मिल रही है। स्वामी आत्मानन्द स्कूल भवन को सुंदर तरीके से बना कर सजाया गया है। वहीं पर्याप्त मात्रा में शिक्षकों की भर्ती की गई है। अलग-अलग विषयों के अलग-अलग लैब, पुस्तकालय सभी सुसज्जित ढंग से बनाया गया है। बच्चों के पीने के लिए फिल्टर पानी की व्यवस्था की गई है। सभी सुविधाएं निजी स्कूलों से भी अच्छी है। लेकिन अब बात करें गांव में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला बीजापतरा की। जहां सबसे पहली जरूरत भवन भी नहीं है। जहां भवन ही नहीं है वहां बाकी व्यवस्था  क्या होगी आप स्वयं कल्पना कर सकते हैं। यहां के भवन को जर्जर हुए वर्षों हो गया। स्कूल के शिक्षकों द्वारा अपने विभाग के उच्च अधिकारियों को अनेकों बार अवगत कराया गया है। लेकिन आज तक विभाग द्वारा कुछ भी नहीं किया गया। गांव के ही एक घर में स्कूल लग रहा है। सूखे दिनों तो बच्चे जैसे तैसे पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन बरसात के दिनों तो कच्चे मकान में पचास बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंगे आप स्वयं आकलन कर सकते हैं।
विभाग को स्टीमेट बनाकर भेजा गया, स्वीकृति नहीं मिली-बीईओ सिदार


भवन विहीन स्कूल के बारे में जानने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी से फोन के माध्यम से संपर्क किया गया, लेकिन उनके द्वारा कॉल रिसीव नहीं किया। तब खण्ड शिक्षा अधिकारी धरमजयगढ़ से चर्चा की गई तो उन्होंने ने बताया कि कई वर्षों से भवन नहीं है विभाग को भवन के लिए स्टीमेट भेज गया था। जिससे लगभग 7 लाख रुपये अतिरिक्त कक्ष के लिए स्वीकृति मिली थी। तब पुन: कम से कम तीन कक्ष की मांग करते हुए उक्त स्वीकृति को रद्द कर दी गई। लेकिन आज तक भवन निर्माण के लिए राशि स्वीकृत नहीं हुआ है। उच्च अधिकारियों को इस विषय से अवगत कराया गया है।

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