जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
विकासखंड धरमजयगढ़ ग्राम पंचायत दर्रीडीह का आश्रित ग्राम खलबोरा को शासन गरीबी मुक्त गांव बनाने का निर्णय लिया है। जिसके लिए करोड़ों रुपये इस गांव में खर्च किये जा रहे हैं। क्योंकि इस गांव में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले बिरहोर विशेष पिछड़ी जनजाति निवासरत हैं। वहीं अन्य जातियों के भी अनेक परिवार हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शासन की जितनी भी योजनाएं संचालित है लगभग सभी योजना का क्रियान्वयन यहां हो रहा है। जिसका लाभ बिरहोर परिवारों के अलावा अन्य वर्गों को भी मिल रहा है। बता दें कि इस गांव में लगभग 48 परिवार बिरहोर हैं। सभी परिवारों के लिए शासन द्वारा बकरी शेड निर्माण कराकर कर प्रत्येक परिवार को तीन-तीन बकरी दिया गया है। वहीं अन्य वर्ग के परिवारों के लिए कोठा निर्माण कर दो-दो गाय दिया गया है। शासकीय आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक परिवारों द्वारा प्रतिदिन 8 से 10 लीटर दूध बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करने की बात कही जा रही है। लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और दिखाई दे रही है। जोहार छत्तीसगढ़ की टीम इस सच्चाई को जानने खलबोरा गांव में गई। जहां बताया गया कि 6 परिवारों को शासन द्वारा गाय दी गई है। हितग्राहियों ने बताया कि दोनों गाय से प्रतिदिन 4 से 5 लीटर दूध मिलता है। जिसके लिए पशु आहार खरीद कर खिलाना पड़ता है। साधारण खानपान से दूध और कम हो जाता है। एक ही परिवार ऐसा है जिनके द्वारा प्रतिदिन 8-10 लीटर दूध निकाला जाता है। खलबोरा से धरमजयगढ़ की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है, लेकिन वहां जाने के लिए सड़क मार्ग नहीं है। वहीं ओंगना गांव के रास्ते जाने से कई किलोमीटर अधिक जाना पड़ता है। जिससे थोड़े से दूध को लेकर बेचने जाने से फ ायदा नहीं हो पाता है। वहीं एक हितग्राही ने बताया कि वह 10-12 लीटर दूध लेकर धरमजयगढ़ बेचने जा रहा था, लेकिन रास्ता खराब होने के कारण सब दूध गिर गया। सड़क नहीं होने के कारण कुछ भी विकास संभव नहीं है। कुछ गाय पालकों ने बताया कि उन्हें दूध से पनीर, घी या अन्य कुछ बनाना नहीं आता है। वहीं गांव में दूध की मांग भी नहीं है। बता दें कि लगभग 26 लाख रुपये से खलबोरा में दुग्ध प्रोसेसिंग यूनिट के लिए मकान बनकर तैयार हो गया है, अभी प्रोसेसिंग के लिए मशीन नहीं लग पाया है। ग्रामीणों को दी गई गाय अच्छी नस्ल की है लेकिन सही देखभाल व खानपान की कमी से गाय कमजोर हो गए हैं। वहीं 1 गाय बीमार होकर मर भी गया है। दूध बेचकर आमदनी बढ़ाने की बात कोरी कल्पना लग रही है। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी अभी तक व्यक्ति विकास ऊपर नहीं उठ पाया है।