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आदिवासी बैगा बच्चों का जान खतरे में न पड़ जाए शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते

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हेमंत बंजारे
जोहार छत्तीसगढ़-पंडरिया।


पंडरिया वनांचल क्षेत्र के स्कूल भगवान भरोसे चल रहा है आपको बता दे। वि.ख ड पंडरिया,संकुल केंद्र भाकुर, शा.प्राथ.शाला जखनाडीह में बच्चे लोग हाफ नदी में अपने भोजन किए हुए थाली धोने के लिए गए थे इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि कितनी बड़ी जोखिम को बुलावा दे रहे है जिमेदार शाला कर्मचारी इतने छोटे-छोटे बच्चे है पहली से पांचवीं क्लास के जिनको ये भी पता नहीं होगा कि नंदी में बाढ़ आने पर क्या हो सकता है।
नदी में कभी भी बाढ़ दस्तक दे देती है
स्थानी कुछ लोगों से बात करने पर बताया ग्राम पंचायत छिदीडीह का आश्रित ग्राम जकनाडीह छत्तीसगढ़ का लास्ट छोर है। मध्यप्रदेश से लगा हुआ है जिसके चलते कभी भी बारिश होती रहती है जिसके वजह से नंदी में बाढ़ आने की डर बना रहता है पर भी जिम्मेदार कर्मचारिओं को जानकारी होने के बाद भी बच्चे लोगों को नदी में जाने से नहीं रोकते और अनहोनी को बुलावा दे रहे हैं। जो समझ से परे है।
मॉनिटरिंग का अभाव
आपको बता दे ब्लॉक स्तर पर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी,खण्ड स्रोत समन्वयक,संकुल प्रभारी इस प्रकार के अधिकारी न्युक्ति की गई रहती है ताकि स्कूलों के मॉनेटरिंग करते है बच्चों को किसी प्रकार का दिक्क्त न हो पर यहां तो कुछ और देखने को मिला बच्चे अपने जान जोखिम में डाल कर अपने खाना खाएं हुए थाली को हाफ नदी में उतर कर साफ करते नजर आए इससे साफ जाहिर होता है यहां मॉनिटरिंग करने नहीं आते अधिकारी कर्मचारी मात्र मुख्यालय में बैठ कर कुर्सी तोडऩे में लगे रहते हैं।
मेंनू के आधार पर नहीं बनते भोजन
शासन द्वारा स्कूलों में बच्चों को गुणवत्ता व पोषण युक्त भोजन प्रदान करने के लिए मध्यान भोजन शुरू की गई है। परंतु उन्हें गुणवत्ता युक्त व मेनू के अनुसार भोजन नहीं मिल पा रहा जखनाडीह स्कूल के बच्चे लोगों को विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते मीनू के आधार पर खाना तो मिल ही नहीं रहा है। बल्कि जो भोजन परोसा जा रहा है वह भी स्तरहीन है। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहीं कारण है कि आदिवासियों बैगा बच्चों को आज भी स्कूलों में अचार पापड़ भी वितरण नहीं किया जा रहा है। वहीं जखनाडीह में पढऩे वाले बच्चों के पालकों ने बताया कि बच्चों को दी जाने वाली दाल व सब्जी में पानी की मात्रा अधिक रहती है। इस पर अधिकारी कार्रवाई नहीं करते जो समझ से परे है।

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