जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
गांव का विकास का जिम्मा ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव के पास होते हैं लेकिन जब सरपंच-सचिव ही निकम्मा निकले तो फिर ग्राम पंचायत का क्या विकास होगा से तो आप सोच ही सकते हैं। ग्रामीणों के एक-एक काम के लिए सचिव की जरूरत होती है और अगर सचिव ग्राम पंचायत से हमेशा ही नदारत रहे तो फिर ग्रामीणों को कितना परेशानी होता है ये तो सिर्फ उसी पंचायत के ग्रामीण ही बता पायेंगे। धरमजयगढ़ मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूर मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम पंचायत गेरसा का ये हाल है तो फिर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अन्य पंचायतों का क्या हाल होता होगा। गेरसा ग्राम पंचायत में पदस्थ पंचायत सचिव मुन्नी राठिया कभी कभार ही पंचायत आती है, पंचायत नहीं आनेे से ग्रामीणों की कई प्रकार के कार्य नहीं हो पा रहे हैं। ग्रामीणों ने बतायेे कि सचिव कभी कभार ही आते हैं सचिव नहीं आने से राशन कार्र्ड, पेंशन सहित कई प्रकार के मुलभूत कार्य नहीं हो पाते हैं। ग्रामीणों ने सरपंच को भी लपरवाह बताते हुए बताये कि सरपंच-सचिव दोनों की मिली भगत है जिसके कारण सचिव पंचायत नहीं आती है। जबकि लगभग लगभग दिन सचिव मुन्नी राठिया ब्लॉक मुख्यालय में दिखाई देती हैं। पंचायत सचिव मुन्नी राठिया ब्लॉक मुख्यालय तो आ सकती है, लेकिन ग्राम पंचायत मुख्यालय आने में परेशानी हो जाती है। जब सचिव मुख्यालय नहीं आने से ग्रामीणों को परेशानी हो रहे हैं तो फिर ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्ताव बनाकर सचिव को हटाने की मांग क्यों नहीं करते? ग्रामीणों ने बताये कि सरपंच इसलिए प्रस्ताव बनाकर हटाने की मांग नहीं करते हैं क्योंकि दोनों की मिलभगत से शासन द्वारा ग्रामीणों को दिये जाने वाली सुविधा में सेंधमार कर अपना जेब भर सकें।
* जब इस संबंध में सरपंच धनीराम राठिया से बात किया गया तो सरपंच का कहना है कि मैं ग्राम पंचायत का मालिक हूं, जब सचिव ग्राम पंचायत में नहीं आने से मेरे को कई परेशानी नहीं है तो फिर दूसरे लोग परेशान क्यों हो रहे हैं। अब आप सोच सकते हैं कि सरपंच-सचिव का कितना मिलभगत है। क्या ग्रामीण इसलिए अपना जनप्रतिनितिधि चुना है ताकि ग्रामीणों को ही लूट सकें।
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