वॉशिंगटन । क्वॉड की पहली व्यक्तिगत बैठक शुक्रवार को हुई। अमेरिका ने इसकी मेजबानी की और अन्य तीनों देशों भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने इसमें हिस्सा लिया। भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने शुक्रवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र और विश्व की शांति और समृद्धि के लिए साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया। क्वॉड नेताओं ने सामूहिक चुनौतियों का सामना करने के लिए नई पहल की घोषणा की।
यह बैठक मुख्य रूप से क्षेत्र में बढ़ते चीनी दखल का सामना करने के लिए रणनीति तैयार करती है। बैठक के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि क्वॉड ‘वैश्विक विकास के लिए एक शक्ति’ के रूप में अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने भरोसा जताया कि चार लोकतांत्रिक देशों का यह संगठन हिंद-प्रशांत क्षेत्र और विश्व में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने का काम करेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने क्वॉड की पहली व्यक्तिगत बैठक को संबोधित करने के लिए सबसे पहले पीएम मोदी को आमंत्रित किया। बैठक से पहले पीएम मोदी और बाइडन की करीब एक घंटे लंबी वार्ता हुई। कोरोना वायरस के बाद पहली बार एशिया के बाहर विदेश दौरे पर अमेरिका पहुंचे पीएम मोदी को बाइडन ने ‘अपना दोस्त’ बताया।
क्वॉड सम्मेलन की शुरुआत करते हुए बाइडन ने कहा कि कोविड से लेकर पर्यावरण जैसी सामूहिक चुनौतियों का सामना करने के लिए चारों लोकतंत्र साथ आए हैं। उन्होंने कहा कि इस समूह में ऐसे लोकतांत्रिक साझेदार शामिल हैं जो विश्व के प्रति समान दृष्टिकोण रखते हैं और जो भविष्य को एक समान नजर से देखते हैं। क्वॉड की बैठक के दौरान पीएम मोदी और बाइडन के अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के पीएम सुगा भी वाइट हाउस के ईस्ट रूम में मौजूद रहे।
क्वॉड मीटिंग को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन बोले वैश्विक आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए भारत में वैक्सीन की अतिरिक्त एक बिलियन डोज के उत्पादन की हमारी पहल ट्रैक पर है। आज हम प्रत्येक क्वॉड देश के छात्रों के लिए नई क्वॉड फेलोशिप लॉन्च कर रहे हैं, ताकि वे यूएस में लीडिंग स्टेम प्रोग्राम में एडवांस डिग्री हासिल कर सकें। ये स्टूडेंट्स कल के लीडर्स, इनोवेटर और पाइनियर्स को रिप्रेजेंट करते हैं।’
जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने कहा क्वॉड 4 देशों द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है जो मौलिक अधिकारों में विश्वास करते हैं और जिनका विचार है कि इंडो-पैसिफिक को स्वतंत्र और खुला होना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा हम एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विश्वास करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि इससे एक मजबूत और समृद्ध क्षेत्र का निर्माण होगा।