भोपाल । पितृ पक्ष की शुरुआत आज से हो रही है। हिंदू धर्म को मानने वाले अगले 15 दिनों तक सभी अपने पूर्वजों को याद करेंगे। पितरों को श्राद्ध अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म करेंगे। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत अहम माना गया है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष शुरू होते हैं और अगली अमावस्या तक पितरों को श्राद्ध अर्पित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान श्राद्ध करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और जिंदगी में सफलता, सुख-समृद्धि भी हासिल होती है। वहीं श्राद्ध न करने पर पूर्वज नाराज हो जाते हैं और जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। धर्म पुराणों में पितृ पक्ष को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, अगले 15 दिनों तक इन नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। पितृ पक्ष के दौरान यमराज सभी पितरों को 15 दिन के लिए आजाद कर देते हैं ताकि वो श्राद्ध का अन्न और जल ग्रहण कर सकें। इस दौरान हर व्यक्ति को श्राद्ध करना चाहिए, लेकिन गलती से भी सूर्यास्त के बाद श्राद्ध नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जाता है। इस समय सादा जीवन जीना चाहिए और कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। पिंडदान, तर्पण करने वाले व्यक्ति को बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। साथ ही ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। पितृ पक्ष में किसी पशु-पक्षी को परेशान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान घर आए पशु-पक्षी को भोजन दें। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पशु-पक्षी का रूप धारण करके अपने परिजनों से मिलने आते हैं। पितृ पक्ष में ब्राह्राणों को पत्तल में भोजन कराना और खुद भी पत्तल में ही भोजन करना चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान बुरी आदतों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इस दौरान नशे और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इन 15 दिनों में गलती से भी शराब-नॉनवेज, लहसुन-प्याज, लौकी, खीरा, सरसों का साग और जीरा नहीं खाना चाहिए।