भोपाल। सब कुछ ठीक रहा तो प्रदेश में वायु प्रदूषण के सबसे बड़े कारण से मुक्ति मिल जाएगी। एनसीएल द्वारा सड़क मार्ग से कोयला परिवहन किया जाना वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है। कोल कंपनी एनसीएल ने वर्ष 2023 तक सड़क मार्ग से कोयला परिवहन को पूरी तरह से बंद करने का न केवल निर्णय लिया है। बल्कि हाल ही में इसको लेकर कवायद तेज कर दी गई है।
एनसीएल के अधिकारियों के मुताबिक कंपनी ने 9 परियोजनाओं में सीएचपी (कोल हैंडलिंग प्लांट) बनाने का काम शुरू कर दिया है। परियोजनाओं में बनाई जाने वाली सीएचपी से कोयला रेलवे रेक में लोड होगा और रेलवे लाइन के जरिया ग्राहकों को भेजा जाएगा। वर्तमान में उपलब्ध नौ सीएचपी से कोयला रेलवे रैक में लोड किया जा रहा है। अभी कई परियोजनाओं से इन सीएचपी के अलावा रेलवे स्टेशनों तक कोयला सड़क मार्ग सड़क मार्ग से पहुंचाया जा रहा है। परियोजनाओं में नई सीएचपी ऐसे स्थानों में तैयार की जा रही है, जहां तक कोयला पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग का उपयोग नहीं करना होगा। कोयला खदान के रास्ते ही सीधे सीएचपी में पहुंच जाएगा और वहां रेलवे रेक के जरिए ग्राहकों को भेजा जाएगा। इससे रेलवे साइडिंग का उपयोग भी बंद हो जाएगा।
रेक से करना है 130 मिलियन टन
कोयला एनसीएल को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) की ओर से वर्ष 2023 तक 130 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। यही वजह है कि एनसीएल की ओर से तैयारी इस उद्देश्य को लेकर किया जा रहा है कि वर्ष 2023 तक 130 मिलियन टन कोयला उत्पादन की स्थिति में पूरा कोयला रेलवे रेक के जरिए उपभोक्ताओं को भेजा जा सके। कहीं भी सड़क मार्ग से कोल परिवहन की जरूरत नहीं पड़े।