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कांग्रेस शासित तीनों राज्यों में पार्टी अंदरूनी कलह से बेहाल

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नई दिल्ली । कांग्रेस राज्यों में बदलाव से जुड़े फैसला लेने में ज्यादा बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है। कांग्रेस नेतृत्व के लिए किसी भी राज्य में स्थिति सहज नहीं है। राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कांग्रेस लगातार जद्दोजहद कर रही है। कहीं भी पार्टी सर्वमान्य फॉर्मूला नहीं तलाश पाई है। लिहाजा पार्टी की मुश्किल बढ़ रही है और आलाकमान पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के विवाद के बीच कोई फॉर्मूला पार्टी अभी तक नहीं खोज पाई है। गहलोत ने पार्टी नेतृत्व के ज्यादातर फॉर्मूला में पेंच फंसाया है। इधर, सचिन पायलट का दबाव लगातार पार्टी नेतृत्व पर बना हुआ है। पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की इच्छा के खिलाफ नवजोत सिद्धू को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन, पार्टी इस फैसले को सही साबित करने के लिए अंदरूनी मशक्कत से जूझ रही है। यहां पार्टी का अंदरूनी विवाद और भी बढ़ चुका है। छत्तीसगढ़ में प्रचंड बहुमत की सरकार होने के बाद भी उठापटक जमकर हो रही है। यहां भी नेतृत्व का फॉर्मूला काम नहीं आया। भूपेश बघेल ने आला नेतृत्व को सीधे आंख दिखाने के बजाय विधायकों की ताकत और अपने काम को आधार बनाकर किसी तरह के बदलाव की कवायद पर सांकेतिक तौर पर सवाल खड़ा कर दिया। जबकि सीएम पद पर दावेदारी जता रहे टी एस सिंह देव अभी भी बदलाव को लेकर आश्वस्त हैं। देव समर्थकों का कहना है कि बघेल को हटाने का वादा नेतृत्व की ओर से किया गया है। बस थोड़ा इंतजार करने को कहा गया है। फिलहाल नेतृत्व की अपनी समस्याओं के चलते कांग्रेस की राह कहीं भी आसान नजर नहीं आ रही है।

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