भोपाल । कोरोना संकट के चलते मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई थी। लगातार राजस्व घटने से राज्य सरकार सरकारी खर्च चलाने के लिए कर्ज ले रही थी, लेकिन बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार लगभग 45 प्रतिशत ज्यादा राजस्व की वसूली हुई है। यानी जहां वित्तीय वर्ष में लगभग 17 हजार करोड़ की राजस्व वसूली हुई थी, वहीं इस बार 24 हजार करोड़ से ज्यादा की राजस्व वसूली हुई है, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर पटरी पर लौटती दिख रही है। तकरीबन 45 फीसदी ज्यादा राजस्व वसूली से प्रदेश का खजाना फिर भर गया है, जिसके चलते कई रुकी परियोजनाओं को गति मिलेगी। राजस्व में कमी के चलते कई परियोजनाएं रुकी हुई थीं।
कोरोना संक्रमण के बीच आपदा को अवसर बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने जो नीतियां बनाई है उसके कारण पिछले साल कोरोना के कहर से लडखड़़ाई राज्य की अर्थ-व्यवस्था एक बार फिर पटरी पर लौट आई है। पिछले वित्तीय वर्ष से ज्यादा की आमदनी राज्य को इस बार अब तक हुई है। सरकार को उम्मीद है कि आने वाले समय में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।
7 हजार करोड़ ज्यादा की राजस्व वसूली
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने सभी विभागों को राजस्व वसूली का टारगेट देकर काम पर लगाया। क्योंकि कोरोना के कारण प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था पर काफी निगेटिव इम्पेक्ट पड़ा था। सरकार के दिशा-निर्देश पर विभागों ने राजस्व वसूली के लिए आकर्षक छूट के साथ अभियान चलाया, जिसके कारण राजस्व बढ़ा है और निगेटिव इम्पेक्ट अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। दरअसल, पिछले वित्तीय वर्ष में अप्रैल, मई व जून 2020 राजस्व वसूली के लिहाज से बिलकुल ठप थे। जुलाई 2021 से कुछ हालात संभले थे। इस बार भी अप्रैल व मई का महीना ही कोरोना की दूसरी लहर के कहर का समय था, लेकिन फिर भी दो तिमाही का सितंबर पहले हफ्ते तक का कुल आकलन देखे तो स्थिति सुधरी है। करीब 7 हजार करोड़ से ज्यादा की राजस्व वसूली पिछले साल से ज्यादा हुई है।
वाणिज्यकर, पंजीयन और आबकारी विभाग बने संबल
संक्रमणकाल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में कई विभागों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्य की आमदनी के लिए मोटे तौर पर रेत-खनिज, आबकारी, प्रॉपटी व अन्य टैक्स और पेट्रोल-डीजल का टैक्स ही रहता है। इसलिए वाणिज्यकर विभाग, पंजीयन विभाग और आबकारी विभाग ही आमदनी का मुख्य जरिया है। इस बार वाणिज्य कर विभाग ने 1748.58 करोड़ की आमदनी पिछले साल से ज्यादा की है। वृत्तिकर में कमी रही, लेकिन बाकी सभी जगह राजस्व बढ़ा है। इसी तरह इस साल शराब पीकर टैक्स चुकाने में भी बढ़ोत्तरी हुई है। शराब से आमदनी में 21.46 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यह राज्य की अर्थ-व्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं।
सरकार के ये कदम प्रभावी
कोरोना काल में सरकार ने लगातार यह कोशिश जारी रखी की प्रदेश की अर्थव्यवस्था का अधिक नुकसान न हो। इसलिए राज्य सरकार ने इस बार कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद उद्योग-धंधे और रोजगार पर फोकस किया। लॉकडाउन की बजाए कोरोना कफ्र्यू को अपनाया गया। इससे जरूरत के उद्योग-धंधे चलते रहे। वहीं कारोबार भी कोरोना प्रोटोकॉल के साथ चलता रहा। इसलिए पहले की तुलना में ज्यादा राजस्व बढ़ा। मकानों की रजिस्ट्री से लेकर अन्य व्यवसाय भी कोरोना की बंदिशों के साथ चले। इसलिए राजस्व में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।