नई दिल्ली। मनसुख हिरेन मर्डर का काम पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को दिया गया था। एनआईए ने 3 सितंबर को अपनी चार्जशीट फाइल की है जिसमें कहा है कि सचिन वाझे ने मर्डन कराने के लिए प्रदीप शर्मा को मोटी रकम दी थी। इस मर्डर की सुपारी लेने के बाद प्रदीप ने संतोष शेलार से बात की और मर्डर में शामिल होने के लिए पूछा। इन लोगों ने साथ में मिलकर हिरेन की हत्या को अंजाम दिया। बता दें कि 4 मार्च को हिरेन मनसुख की हत्या की गई थी और 2 मार्च को इन सब ने एक मीटिंग की थी। चार्जशीट से पता चला है कि 2 मार्च को वाझे ने एक मीटिंग की थी, जिसमें एक अन्य पुलिसकर्मी सुनील माने और प्रदीप शर्मा, दोनों मौजूद थे। एनआईए के मुताबिक वाझे न यह मीटिंग इसलिए बुलाई ताकि दोनों को यह पता चल सके कि हिरेन कैसा दिखता है और प्लान में कोई दिक्कत पैदा न हो। चार्जशीट में कहा गया है, “यह काम प्रदीप शर्मा (ए-10) को सौंपा गया था।” साजिश के तहत आरोपी प्रदीप शर्मा (ए-10) ने आरोपी संतोष शेलार (ए-6) से संपर्क किया और पूछा कि क्या वह पैसे के बदले मर्डर कर सकता है, आरोपी संतोष शेलार (ए -6) ने काम स्वीकार कर लिया।” वाझे और माने दोनों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। प्रदीप शर्मा ने 2019 में शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में राज्य का चुनाव लड़ने के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था (वे हार गए थे)। अब तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। चार्जशीट में बताया गया है कि 3 मार्च को वाझे ने शर्मा से एक बार फिर मुलाकात की और पैसे भरा बैग उसे सैंप दिया जिसमें 500-500 के नोट थे। पैसे लेने के बाद प्रदीप शर्मा ने शेलार को फोन किया और लाल टवेरा का इंतजाम करने को कहा। इस गाड़ी का इस्तेमाल शर्मा हिरेन को मारने और उसकी लाश को ठिकने लगाने के लिए करना चाहता था। चार्जशीट में आगे बताया गया कि जैसा वाझे और माने ने प्लान किया था, 4 मार्च की शाम को माने ने क्रिकेट सट्टेबाज नरेश गॉट से ली सिम का इस्तेमाल करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर, मलाड के एक पुलिस अधिकारी होने का नाटक करते हुए, हिरन को फोन किया। इसके बाद हिरेन उनसे मिलने के लिए तैयार हो गया।